फूलों की घाटी

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  • फूलों की घाटी (Velly of Flower National Park) स्थापना – 1982 ई
    स्थिति – चमोली
    क्षेत्रफल – 87.5 वर्ग किमी
    मुख्यालय- जोशीमठ
    यह उत्तराखंड का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है।
    इसकी खोज 1931 में फ्रैंक स्माइथ व उनके मित्र होल्डसवर्थ द्वारा की गयी।
    वैली ऑफ फलावर का प्रकाशन 1938 में हुआ।
    यह राष्ट्रीय उद्यान समुद्रतल से 3600 मी की ऊंचाई पर नर व गंधमादन पर्वत के बीच में है।
    इस उद्यान के मध्य में पुष्पावती नदी बहती है। जो कामेट पर्वत के पुष्पतोया ताल से निकलती है।
    इस उद्यान के मध्य लिंगाताल या आंछरी ताल स्थित है।
    यहां सर्वाधिक जैव विविधता पायी जाती है।
    यहां लगभग 500 प्रकार के फूल खिलते हैं।
    फूलों की घाटी के मध्य मैडम जॉन मारग्रेट लेग्स की समाधि है जो एक पुष्प वैज्ञानिक थी। लेग्स 1939 में यह आयी थी।
    इस राष्ट्रीय उद्यान में सबसे ज्यादा कस्तूरी मृग पाये जाते हैं।
    फूलों की घाटी में फूल जुलाई के प्रथम सप्ताह से अक्टूबर के तीसरे सप्ताह तक खिलते हैं।
    अमेला व नटग्रास (पॉलीगोनम) घास फूलों की घाटी के लिये खतरा पैदा कर रही हैं।
    स्कंदपुराण में इसे नंदकानन कहा गया है।
    कालिदास ने मेघदूत में इसे अलका कहा है।
    स्थानीय भाषा में इसे द्वारीखर्क कहा गया है।
    स्वर्ग में इन्द्र का उपवन फूलों की घाटी को कहा गया है।
    फूलों की घाटी के अन्य नाम गंधमादन, भ्यूंडार, पुष्पावती, पुष्परसा, फेंक स्माइथ घाटी व गंगापार्क हैं।
    14 जुलाई 2005 को यूनेस्को ने फूलों की घाटी को विश्व धरोहर घोषित किया।