• संस्कृत भाषा और गुप्तकालीन ब्राह्मी लिपि की दक्षिणी शैली में उत्कीर्ण यह अभिलेख मालवा के दशपुर नामक स्थान से प्राप्त हुआ है.
  • इस अभिलेख की खोज करने और उसे प्रकाश में लाने का श्रेय कनिघम और फ्लीट महोदय को है.
  • इस अभिलेख का मुख्य विषय गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम के गोप्ता विश्ववर्मा के पुत्र बन्धुवर्मा के समय में प्राचीन दशपुर ( आधुनिक मन्दसौर) नामक नगर के ‘पट्ट्वाय श्रेणी’ के द्वारा मालव संवत् 413 में एक सूर्य-मन्दिर का निर्माण और मालव संवत् 521 में उसका जीर्णोद्धार हैं.
  • अभिलेख के प्रारम्मिक तीन श्लोकों मैं सूर्य- स्तुति की गई है. वैदिक साहित्य में सूर्योपासना का उल्लेख मिलता है. 
  • इस प्रशस्ति में लाट में रहने वाले ‘तन्तुवाय श्रेणी’ के दशपुर नगर में जाकर बसने का वर्णन है.
  • पट्टवायों की यह श्रेणी दशपुर में आकर अपने परम्परागत व्यवसाय के अतिरिक्त अन्य व्यवसायों में भी संलग्न हो गई. यह अभिलेख उनकी कला प्रियता का स्पष्ट प्रमाण है.