जनजातियों में गोत्र के अन्य नाम – गोत्र को किली, कुंदा, पारी आदि नामों से जाना जाता है।प्रत्येक गोत्र का एक प्रतीक/गोत्रचिह्न होता है, जिसे टोटम कहा जाता है।पहाड़िया जनजाति में गोत्र की व्यवस्था नहीं पायी जाती है।Related Articles:स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खण्डन — महावीर प्रसाद द्विवेदी