• कबीर रामानंद के प्रिय शिष्यों में से एक थे। 
  • कबीर, लोदी सुल्तान ‘सिकंदर लोदी के समकालीन’ थे। 
  • कबीर ने निर्गुण ईश्वर की उपासना पर बल दिया तथा हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्मों की कुरीतियों की कटु आलोचना की। कबीर हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे। कबीर निर्गुण भक्ति शाखा के पहले संत थे, जिन्होंने गृहस्थ धर्म का भी पालन किया।
  •  कबीर ने अपने दोहों द्वारा जात-पाँत, मूर्ति पूजा आदि का विरोध किया। 
  • इनके दोहों को इनके शिष्यों द्वारा ‘बीजक’ में संग्रहित किया गया। इसके तीन भाग हैं- रमैनी, सबद और साखी।
  • इसकी भाषा ‘सधुक्कड़ी’ या ‘पंचमेल खिचड़ी’ कही जाती है।