• धारणा का मतलब है एक समय में एक स्थान या वस्तु पर पूरा ध्यान केंद्रित करना
  • जागरूकता तेल की माप की तरह निरन्तर प्रवाह है (धारा-सहज, निरन्तर प्रवाह) पानी के विपरीत, वह टूट जाता है और निरन्तर नहीं होता है.
  • मन की इस गुणवत्ता को योगियों और लघु द्वारा “एकाग्र मन की एकाग्र अवस्था के रूप में सन्दर्भित किया जाता है.
  • अष्टांग योगदर्शन में प्रथम 5 अंगों को बहिरंग योग साधना तथा अन्तिम तीन धारणा, ध्यान, समाधि को अन्तरंग योग साधना, इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि योग के लक्ष्य तक अन्त में धारणादि अतिशय समीप होते है: यम-नियम आदि अंग तो धारणादि तक अन्त में चित्त की शुद्धि तथा एकाग्रता करने में साधक को सहायक होते हैं.