Tips For Students
- यहाँ कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं जो आपको परीक्षाओं में सफल होने में मदद कर सकते हैं:
- समय प्रबंधन: एक टाइम-टेबल बनाएं और उसे फॉलो करें। प्रत्येक विषय को पर्याप्त समय दें, और रिवीजन के लिए भी समय निकालें।
- 5 :00 – 9:00 AM: स्मार्ट नोट्स रेगुलर रिवीजन
- 9:00 AM – 10:00 AM: सुबह का रूटीन (नाश्ता, व्यायाम, स्नान )
- 10:00 AM – 1:00 PM: अध्ययन
- 1:00 PM – 2 :00 PM: लंच और ब्रेक
- 2 :00 PM – 5 :00 PM: अध्ययन
- 5:00 PM – 6:00 PM: व्यायाम, सामाजिक समय या फ्री टाइम
- 6:00 PM – 8 :00 PM: अध्ययन
- 8 :00 PM – 9:00 PM: डिनर और आराम
- 9:00 PM – 10 :00 PM: Mock Test
- 10 :00 PM – 11 :00 PM: दिन भर के अध्ययन को एक बार revise करे
- 11 :00 PM – 5 :00 PM: आराम और नींद
- पढ़ाई का स्थान चुनें: एक शांत और सुविधाजनक जगह पर पढ़ाई करें जहाँ कोई ध्यान भंग करने वाली चीजें न हों। सही माहौल में पढ़ाई करने से समझ और एकाग्रता बेहतर होती है।
- घर के नजदीक ही एक सस्ता छोटा रूम ले,जो शांत माहौल में हो।
- अगर जरूरी लगे तो ही लाइब्रेरी ज्वाइन करे , क्यूकि एकाग्रता मन की उपज है, दुसरो की देखा देखी नहीं करना है अपने बजट को ध्यान रखना है , पैसा बहुत मेहनत से कमाया जाता है अपने माता पिता के संघर्ष को भी ध्यान में रखे ।
- स्मार्ट नोट्स बनाएं: महत्वपूर्ण पॉइंट्स और फॉर्मूले के छोटे नोट्स बनाएं। इससे रिवीजन के समय पूरा विषय दोहराने की जरूरत नहीं होगी और समय बचेगा।
- Limited Books ही पढ़े। किसी भी विषय का कोई एक अच्छा बुक ख़रीदे , उसी को बार बार पढ़े और उसी बुक्स के डाटा में कुछ extra contents को अपडेट करते रहे।
- Important Facts ko Highlighter se Mark कर ले
- रेगुलर रिवीजन करें: पढ़ाई के दौरान नियमित रूप से रिवीजन करें। जो कुछ आपने पढ़ा है, उसे हर हफ्ते दोहराएं, ताकि भूलने की संभावना कम हो।
- मॉक टेस्ट और प्रैक्टिस पेपर्स हल करें: मॉक टेस्ट से परीक्षा की तैयारी का अनुभव मिलेगा और परीक्षा के समय को बेहतर तरीके से मैनेज करना भी आएगा।
- Must Attempt Previous Year Questions
- स्वस्थ आहार और पर्याप्त नींद: अपने खान-पान और नींद का ध्यान रखें। थकान से बचने के लिए पर्याप्त नींद और हेल्दी डाइट लेना बहुत जरूरी है।
- Carbohydrates – चावल, गेंहू, आलू,
- Proteins – दाल, अंडे, दूध ,मांस और दही, बादाम, काजू, पिस्ता,
- Fats (वसा) – घी, अखरोट, मक्खन
- सब्जी /फल – (जो मिले ), गाजर, पालक, साग
- एक सामान्य वयस्क व्यक्ति को दिन में लगभग 2.5 से 3 लीटर पानी पीने की आवश्यकता होती है।
- एक सामान्य वयस्क व्यक्ति को कम से कम 6 से 8 घंटे नींद की आवश्यकता होती है। रात में ही सोये दिन में नहीं।
- सकारात्मक रहें: आत्मविश्वास बनाए रखें और नकारात्मक विचारों से बचें। पॉजिटिव सोच आपकी परफॉर्मेंस में सुधार लाएगी।
- निरंतर अभ्यास और मेहनत – अर्जुन और कर्ण दोनों ने अपनी कला को सिद्ध करने के लिए निरंतर अभ्यास और मेहनत की। किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए कठिन परिश्रम और समर्पण आवश्यक हैं।
- संयम और शांति : जीवन में कई उतार-चढ़ाव आएंगे, लेकिन संयम और शांति से काम करना हमेशा फलदायक होता है।
- गुरु का महत्व : अर्जुन ने द्रोणाचार्य , वहीं कर्ण ने अपने गुरु परशुराम से युद्धकला सीखी। दोनों का यह अनुभव बताता है कि सही मार्गदर्शन जीवन को दिशा दे सकता है। हालाँकि आज के युग में द्रोणाचार्य और परशुराम जैसे गुरु नहीं मिलेंगे ,शिक्षा मात्र व्यापर बन कर रह गया है ,किन्तु आप एकलव्य बन कर ज्ञान प्राप्त कर सकते है।
- इच्छा और मेहनत सच्ची हो- एकलव्य से हमें यह सीखने को मिलता है कि यदि आपके पास आत्मविश्वास, समर्पण और मेहनत है, तो कोई भी बाहरी परिस्थिति आपको अपनी मंजिल तक पहुँचने से रोक नहीं सकती। उन्होंने अपने जीवन में इस सिद्धांत को साबित किया कि आपके प्रयास ही आपको पहचान और सफलता दिलाते हैं, न कि आपके पास क्या संसाधन (पैसा ) हैं या आपके साथ कौन है। जब हमारी इच्छा और मेहनत सच्ची हो, तो हमें बाहरी सहायता की आवश्यकता नहीं होती।
- जब हम किसी से प्रतिस्पर्धा करें, तो भी हमें अपनी मानवता और दया को न भूलना चाहिए।
- कर्ण ने अपनी पूरी ज़िन्दगी अपने वचन को निभाने में बिताई। उनका वचन था कि वे हमेशा दुर्योधन के साथ खड़े रहेंगे, और उन्होंने पूरी ईमानदारी से यह कर्तव्य निभाया। यह हमें यह सिखाता है कि एक व्यक्ति को अपने वादे और कर्तव्य के प्रति सच्चा और निष्ठावान होना चाहिए। कर्ण अपने कर्तव्य पथ पर समर्पित थे , लेकिन उनका उद्देश्य गलत था ,गलत व्यक्ति का साथ दिया , इसीलिए अंत निराशापूर्ण रहा। आपका भी उद्देश्य सही होना चाहिए , आप इस समाज को क्या दिशा दे सकते है ?
- शार्ट ब्रेक लें: लंबे समय तक पढ़ाई करने की बजाय, बीच-बीच में छोटे ब्रेक लें। इससे आपका दिमाग तरोताजा रहेगा और एकाग्रता भी बढ़ेगी।
- समझ पर ध्यान दें, रटने पर नहीं: विषय को समझने की कोशिश करें। केवल रटने की बजाय कांसेप्ट समझें, ताकि आप उन्हें परीक्षा में बेहतर ढंग से लिख सकें।
- डाउट्स क्लियर करें: किसी भी विषय में संदेह होने पर Google , Youtube ,अपने टीचर या दोस्तों से मदद लें। अस्पष्टता से बचें और पूरी तैयारी के साथ परीक्षा में जाएं।
- अर्थ – “अभ्यास करने से कोई भी कार्य सिद्ध हो जाता है” या “लगातार अभ्यास करने से किसी भी कार्य में महारत हासिल की जा सकती है।” यह मुहावरा यह बताता है कि कोई भी व्यक्ति यदि किसी कार्य में निरंतर अभ्यास करता है, तो वह कार्य समय के साथ उसमें निपुण हो जाता है और सफलता प्राप्त करता है।
विद्यार्थियों के पांच लक्षण
- काक चेष्टा (कौवे की चेष्टा): कौआ अपने लक्ष्य को पाने के लिए बार-बार प्रयास करता है और निराशा नहीं छोड़ता. इसी तरह, विद्यार्थी को भी अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार प्रयास करना चाहिए.
- बको ध्यानं (बगुले की तरह ध्यान): बगुला पानी में एक पैर पर खड़ा होकर मछली पर ध्यान लगाता है. इसी तरह, विद्यार्थी को भी एकाग्र ध्यान लगाना चाहिए.
- श्वान निद्रा (कुत्ते की तरह निद्रा) – श्वान (कुत्ता) कभी भी ज्यादा देर तक सोता नहीं है, बल्कि वह थोड़े समय के लिए सोकर फिर से सजग हो जाता है। इसी तरह विद्यार्थी को भी अच्छी नींद लेनी चाहिए, लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि वह ज्यादा समय तक सोकर आलसी न बने।
- अल्पहारी (थोड़ा खा कर संतुष्ट होना) – जैसे एक अच्छा विद्यार्थी अत्यधिक भोजन से बचता है और हमेशा संतुलित आहार ही लेता है। उसे अल्पाहार (थोड़ा भोजन) करना चाहिए, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बना रहे। प्राचीन काल में गुरुकुल के आदर्श विद्यार्थी कम खाना खाते थे.
- गृह त्यागी (घर का त्याग करने वाला) – घर में आराम और विलासिता की चीजें होती हैं, लेकिन एक विद्यार्थी को इनसे दूर रहकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। घर के आराम को त्यागकर, उसे अपनी शिक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। प्राचीन काल में गुरुकुल के आदर्श विद्यार्थी घर से दूर आश्रम में विद्याध्ययन करते थे.
गायत्री मंत्र:
“ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्”
- गायत्री मंत्र का अर्थ: ईश्वर हमारी बुद्धि को मार्गदर्शन दें, ताकि हम सत्य के पथ पर चल सकें।यह मंत्र मानसिक शांति, आंतरिक शक्ति, और ज्ञान प्राप्ति में मदद करता है। इसका नियमित जप व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से जागरूक और उन्नत करता है।गायत्री मंत्र से बुद्धि की वृद्धि होती है, जिससे हम सही निर्णय ले सकते हैं और जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है।यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।गायत्री मंत्र का जाप जीवन में शांति, समृद्धि और ध्यान की स्थिति को बढ़ाता है। इसे नियमित रूप से जाप करने से व्यक्ति के जीवन में अपार आशीर्वाद और सुख प्राप्त होते हैं।
डोपामाइन का छात्रों के जीवन में महत्व
- डोपामाइन एक महत्वपूर्ण न्यूरोट्रांसमीटर (मस्तिष्क में सिग्नल भेजने वाला रसायन) है, जो हमारे मस्तिष्क में खुशी, प्रेरणा, सीखने और ध्यान की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। यह मस्तिष्क के “इनाम प्रणाली” का हिस्सा है, यानी जब हम कुछ अच्छा करते हैं या कोई लक्ष्य प्राप्त करते हैं, तो डोपामाइन रिलीज होता है, जो हमें अच्छा महसूस कराता है और हमें और अधिक प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है। छात्रों के लिए, डोपामाइन का सही तरीके से प्रबंधन करना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके अध्ययन और मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव डालता है।
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प्रेरणा और लक्ष्य की प्राप्ति
- डोपामाइन छात्रों को उनके लक्ष्यों के प्रति प्रेरित करता है। जब छात्र किसी कार्य को पूरा करते हैं या कोई असाइनमेंट करते हैं, तो डोपामाइन का रिलीज़ उन्हें संतुष्टि और खुशी का एहसास कराता है, जिससे वे आगे और बेहतर प्रयास करते हैं।
- उदाहरण के लिए, जब आप एक कठिन असाइनमेंट को पूरा करते हैं या परीक्षा में अच्छा स्कोर करते हैं, तो डोपामाइन आपके मस्तिष्क में रिलीज़ होता है, जो आपको आगे के कार्यों के लिए प्रेरित करता है।
- ध्यान और एकाग्रता में सुधार
- डोपामाइन एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे छात्र लंबे समय तक अध्ययन पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। यह मस्तिष्क को किसी कार्य पर फोकस करने और उसे प्रभावी रूप से करने में सक्षम बनाता है।
- उच्च डोपामाइन स्तर वाले छात्र आम तौर पर अध्ययन में अधिक सक्षम होते हैं और उन कार्यों को पूरा करने में रुचि रखते हैं जो चुनौतीपूर्ण होते हैं।
- सीखने की प्रक्रिया में मदद
- डोपामाइन सीखने की प्रक्रिया में मदद करता है, क्योंकि यह मस्तिष्क को नए तथ्यों या विचारों को आसानी से याद रखने और समझने में सक्षम बनाता है।
- जब कोई छात्र नए कौशल या जानकारी प्राप्त करता है, तो डोपामाइन मस्तिष्क में रिलीज़ होता है, जिससे वह सीखने की प्रक्रिया को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
डोपामाइन को कैसे नियंत्रित करें और उपयोगी बनाएं?
- छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें: छात्रों के लिए छोटे और स्पष्ट लक्ष्य तय करना महत्वपूर्ण है, जैसे “आज इस चैप्टर को खत्म करना” या “अगले घंटे में 10 प्रश्न हल करना”। जब ये लक्ष्य पूरे होते हैं, तो मस्तिष्क में डोपामाइन रिलीज़ होता है, जिससे छात्र को संतुष्टि मिलती है और वे आगे और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होते हैं।
- प्रेरणादायक अध्ययन वातावरण बनाएं- यदि अध्ययन का माहौल सकारात्मक और प्रेरणादायक है, तो डोपामाइन का स्तर बढ़ सकता है। अच्छा संगीत, एक अच्छी अध्ययन जगह, या मित्रों के साथ अध्ययन करना छात्र को अधिक प्रेरित कर सकता है।
- शारीरिक गतिविधि करें- शारीरिक गतिविधि जैसे व्यायाम, योग, या खेल डोपामाइन के स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं। नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि करने से छात्र मानसिक रूप से ताजगी महसूस करते हैं और अध्ययन के प्रति उनकी प्रेरणा बढ़ती है।
- सही आहार लें- कुछ खाद्य पदार्थ जैसे चॉकलेट, दूध, बादाम और फल डोपामाइन के उत्पादन को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, ओमेगा-3 फैटी एसिड (जो मछली में पाया जाता है) और प्रोटीन (जो अंडे, दाल, और नट्स में होता है) भी डोपामाइन को बढ़ाते हैं।
- सकारात्मकता और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें- तनाव और नकारात्मकता डोपामाइन के स्तर को घटा सकते हैं। इसलिए छात्रों को अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। मेडिटेशन, योग, और मानसिक शांति की तकनीकें डोपामाइन के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।
- सकारात्मक पुरस्कार प्रणाली अपनाएं – जब आप अध्ययन के किसी बड़े लक्ष्य को पूरा करते हैं, तो खुद को एक छोटा सा इनाम दें, जैसे पसंदीदा शो देखना, ट्रीट लेना, या कोई पसंदीदा गतिविधि करना। यह डोपामाइन को बढ़ाता है और मानसिक रूप से खुशी का अनुभव कराता है।
- अत्यधिक डिजिटल स्क्रीन का उपयोग: सोशल मीडिया, वीडियो गेम्स, या अन्य डिजिटल गतिविधियों से अत्यधिक जुड़ा रहना डोपामाइन को जल्दी रिलीज करता है, लेकिन यह प्रेरणा को लंबे समय तक बनाए रखने में सहायक नहीं है। ऐसे में छात्र अपनी पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पाते और पढ़ाई की प्रेरणा घट जाती है।
- आलस्य और टालमटोल: जब छात्र कोई काम टालते हैं, तो डोपामाइन का स्तर घटता है, क्योंकि कोई कार्य पूरा नहीं हो रहा होता। यह मोटिवेशन की कमी का कारण बन सकता है, जिससे छात्रों का मनोबल गिर सकता है।
प्राचीन गुरुकुल के नियम
1. गुरु का सम्मान (Respect for Guru)
- गुरु का आदर और सम्मान करना आवश्यक था। गुरुकुल में विद्यार्थियों को गुरु के प्रति अपार श्रद्धा और सम्मान का पालन करना सिखाया जाता था। गुरु को भगवान समान माना जाता था।
- गुरु के आदेशों का पालन करना और उनकी बातों को ध्यान से सुनना अनिवार्य था।
2. नियमित अध्ययन (Regular Studies)
- विद्यार्थियों को नियमित अध्ययन और शुद्ध मन से काम करने की आदत डाली जाती थी। गुरुकुल में पढ़ाई के दौरान लापरवाही नहीं बरती जाती थी।
- विद्यार्थियों को शास्त्रों, संस्कृत, वेद, उपनिषद, और अन्य धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथों का अध्ययन कराया जाता था।
3. साधन और अनुशासन (Discipline and Self-Control)
- अनुशासन गुरुकुल के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा था। यहां विद्यार्थियों को दिनचर्या का पालन करना सिखाया जाता था, जैसे समय पर उठना, स्नान करना, पूजा करना और निर्धारित समय पर भोजन करना।
- उन्हें स्वच्छता, नित्य कर्म, और अपने आचार-विचार को शुद्ध रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती थी।
4. गृहकार्य और सेवा (Household Work and Service)
- छात्रों को गुरु की सेवा करने का भी महत्व सिखाया जाता था। यह सेवा विद्यार्थियों को विनम्रता, समर्पण और आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा देती थी।
- वे घर के छोटे-छोटे काम जैसे जल लाना, लकड़ी लाना, सफाई करना आदि में गुरु की मदद करते थे।
5. साधारण जीवन जीना (Live a Simple Life)
- गुरुकुल में साधारण जीवन जीने पर जोर दिया जाता था। विद्यार्थियों को भव्यता और अत्यधिक भोग से दूर रखा जाता था।
- विद्यार्थियों को कोई अधिक भोग-विलास, या ऐशोआराम की अनुमति नहीं थी। वे साधारण वस्त्र पहनते थे और उनका मुख्य उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति और आत्म-सुधार होता था।
6. समानता और भाईचारा (Equality and Brotherhood)
- गुरुकुल में समानता का आदान-प्रदान था, जहां सभी छात्र चाहे उनकी जाति, धर्म, या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो, समान रूप से शिक्षा प्राप्त करते थे।
- भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया जाता था, जहां सभी छात्र एक-दूसरे के साथ मिलकर रहते थे और एक-दूसरे का आदर करते थे।
7. धार्मिक आस्थाएँ (Religious Faith)
- गुरुकुलों में छात्रों को धार्मिक संस्कार और आस्थाओं का पालन करने की शिक्षा दी जाती थी।
- उन्हें नियमित रूप से पुजा पाठ और यज्ञों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाता था।
8. सहनशीलता और संयम (Patience and Self-Control)
- विद्यार्थियों को सहनशीलता और संयम रखना सिखाया जाता था। किसी भी परिस्थिति में आंतरिक शांति बनाए रखना आवश्यक था।
- गुस्से पर काबू पाना और आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करना आवश्यक था।
9. सादा भोजन (Simple Diet)
- गुरुकुल में सादा और पौष्टिक भोजन किया जाता था। विद्यार्थियों को ताजे और पोषक तत्वों से भरपूर आहार दिया जाता था, जैसे कि दाल, चावल, सब्ज़ियाँ और फल।
- भोजन में किसी भी प्रकार के विलासिता की चीजें नहीं होती थीं, और एक निश्चित समय पर भोजन करना अनिवार्य होता था।
10. साधना और ध्यान (Meditation and Spiritual Practices)
- गुरुकुलों में छात्रों को ध्यान, योग और अन्य आत्म-उद्धार की प्रक्रियाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाता था। यह मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक था।
- विद्यार्थियों को नियमित रूप से साधना और प्रार्थना करने की आदत डाली जाती थी, ताकि वे मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति पा सकें।
निष्कर्ष (Conclusion): प्राचीन गुरुकुल का उद्देश्य केवल शैक्षिक ज्ञान प्रदान करना नहीं था, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करता था। विद्यार्थियों को न केवल मानसिक, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्तर पर भी प्रशिक्षित किया जाता था। इन नियमों का पालन करके, वे आदर्श नागरिक, और श्रेष्ठ इंसान बनते थे।
बुरी आदतों को कैसे छोड़े
- धूम्रपान (Smoking) : धूम्रपान से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, और यह सांस की समस्याएं, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। छात्रों को इस बुरी आदत से बचना चाहिए, क्योंकि यह उनके शरीर और मस्तिष्क दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
- शराब और ड्रग्स (Alcohol and Drugs) : शराब और नशीले पदार्थ छात्रों के मानसिक विकास को नुकसान पहुंचाते हैं। ये न केवल शारीरिक नुकसान करते हैं, बल्कि ध्यान और एकाग्रता की क्षमता को भी कमजोर करते हैं। इसके अलावा, यह बुरी आदतें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण भी बन सकती हैं।
- ऑनलाइन गेम्स , सोशल मीडिया ,अत्यधिक स्क्रीन समय (Excessive Screen Time) : आधुनिक तकनीक का अत्यधिक उपयोग, जैसे मोबाइल फोन, कंप्यूटर, और टेलीविजन, छात्रों की आंखों पर दबाव डालता है और मानसिक थकावट का कारण बन सकता है। यह पढ़ाई और शारीरिक गतिविधियों में बाधा डालता है और नींद की कमी का कारण भी बन सकता है। ऑनलाइन गेम्स और सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल छात्रों के समय को बर्बाद कर सकता है, जिससे उनकी पढ़ाई और अन्य गतिविधियां प्रभावित होती हैं। यह मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे तनाव और अकेलापन।
- फास्ट फूड और जंक फूड : (जैसे चौमिन , मोमोज , बर्गर ) का अत्यधिक सेवन छात्रों को मोटापा, diabetes और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार बना सकता है। सही आहार से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। बस मुँह का स्वाद के लिए कभी कभार खाये , इनका आदि ना हो जाये।
- हस्तमैथुन (Masturbation) : सबसे पहले यह समझें कि हस्तमैथुन कोई बुरी या गलत चीज़ नहीं है, लेकिन यदि यह अत्यधिक हो रहा है या आपकी जीवनशैली को प्रभावित कर रहा है, तो आपको इसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
- धार्मिक या आध्यात्मिक मार्गदर्शन: ध्यान, प्रार्थना, या धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने से मन को शांति मिल सकती है और आत्म-नियंत्रण बढ़ सकता है।
- नई रुचियां और शौक विकसित करें: हस्तमैथुन की इच्छा से बचने के लिए नए शौक या रुचियां अपनाएं, जैसे कला, संगीत, लेखन, या खेल। यह आपका ध्यान भटकने में मदद करेगा।
- आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करें: जब भी आपको हस्तमैथुन करने की इच्छा हो, तो उसी समय कुछ सकारात्मक काम करें जैसे किताब पढ़ना, सोते वक्त धार्मिक गाने सुनना/देखकर सोना , या कुछ नया सीखना।
- सकारात्मक सोच अपनाएं: खुद को सकारात्मक तरीके से देखें और किसी भी नकारात्मक विचार /गंदी गंदी वीडियो को नकारें। सकारात्मक सोच से आपके मानसिक तनाव और इच्छाओं पर काबू पाया जा सकता है।