बिहार की अपवाह प्रणाली / नदी प्रणाली
- नदियों और उसके अपवाह तन्त्रों को, उद्गम के आधार पर दो वर्गों में रखा जा सकता है-
- (1) हिमालय क्षेत्र से निकलने वाली नदियाँ और
- (2) पठारी क्षेत्र के दक्षिणी भाग से निकलने वाली नदियाँ ।
- हिमालय क्षेत्र से निकलने वाली नदियों में सरयू (घाघरा), गण्डक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला, कोसी, बलान तथा महानंदा प्रमुख हैं । ये सभी चिरस्थायी नदियाँ गंगा के उत्तरी मैदानी भाग में बहती हुई गंगा में मिल जाती हैं ।
- पठारी क्षेत्र की नदियों में सोन, उत्तरी कोयल, चानन, पुनपुन, फल्गु, कर्मनाशा, सकरी, पंचाने आदि प्रमुख हैं । ये नदियाँ राज्य के दक्षिणी भागों से होती हुईं गंगा या इसकी सहायक नदियों में मिल जाती हैं। ये मुख्यतः बरसाती नदियाँ हैं ।
- बिहार में बहने वाली सोन व पुनपुन नदियों का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश है ।
- पड़ोसी देश नेपाल बिहार की चार प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल है।
- बागमती और कमला नदी नेपाल में हिमालय की महाभारत श्रेणी से सरयू नदी नाम्पा (नेपाल) से तथा कोसी नदी पूर्वी नेपाल की सप्तकौशिकी से निकलती हैं।
- झारखंड राज्य का छोटानागपुर-संथाल परगना क्षेत्र जिन नदियों का उद्गम स्थल रहा है, वे है स्वर्ण रेखा, बराकर, फल्गु, सकरी, पंचाने ।
- ये नदियाँ छोटानागपुर के पठारी भाग से दामोदर नदी पलामू जिले से, उत्तरी-दक्षिणी कोयल नदी राँची की पहाड़ियों से तथा अजय नदी संथाल परगना के राजमहल पहाड़ी क्षेत्रों से निकलती हैं।
- उपर्युक्त सभी नदियों को जलप्रवाह, स्थिति व दिशा के आधार पर मुख्यतः तीन भागों में बाँटा जा सकता है-
- प्रथम वर्ग इस वर्ग में सरयू, गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला, बलान, कोसी एवं महानंदा नदियों को रखा जा सकता है, जो गंगा नदी में उत्तर से आकर मिलती हैं।
- द्वितीय वर्ग : इस वर्ग में सोन, पुनपुन, उत्तरी कोयल, चानन, फल्गु, सकरी, पंचाने एवं कर्मनासा नदियाँ आती हैं, जो गंगा में दक्षिण से आकर मिलती हैं।
- तृतीय वर्ग : इस वर्ग में दामोदर, बराकर, स्वर्ण रेखा, दक्षिणी कोयल, संख व अजय आदि ऐसी नदियाँ हैं जो राज्य के दक्षिणी भाग में प्रवाहित होती हैं ।
बिहार में गंगा के उत्तरी मैदान की नदियाँ
- गंगा के उत्तरी मैदान की प्रमुख नदियाँ घाघरा, गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कोसी तथा महानंदा हैं। चूँकि इन नदियों का उद्गम स्थल हिमालय का पर्वतीय प्रदेश है, इसलिए इन नदियों में वर्ष भर जल प्रवाहित होता है ।
- ये नदियाँ बरसात के समय काफी मिट्टियाँ और रेत लाती हैं, जिससे उपजाऊ उत्तरी मैदान का निर्माण होता है ।
- हिमालय से निकलकर तेज गति से बहने वाली ये नदियां उत्तर बिहार में भयंकर बाढ़ लाया करती हैं। इन नदियों में घाघरा, गंडक, बागमती और कोसी अपनी मार्ग परिवर्तन के लिए कुख्यात हैं।
- गंगा नदी बिहार के अपवाह तंत्र का मुख्य आधार है। गंगोत्री इसका उद्गम स्रोत है। हरिद्वार के पास यह समतल भूमि पर बहना आरंभ करती है और चौसा के निकट यह बिहार के मैदान में प्रवेश करती है तथा मैदान को दो भागों में बांटते हुए यह बंगाल में प्रवेश कर जाती है।
- गंगा में उत्तर दिशा से मिलने वाली प्रमुख नदियाँ हैं— घाघरा, गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला, बलान, कोसी और महानंदा ।
- बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा के पास ही घाघरा ( सरयू) नदी गंगा नदी से मिलती है ।
- गंगा में दक्षिण दिशा से मिलने वाली प्रमुख नदियाँ हैं— कर्मनाशा, सोन, पुनपुन, हरोहर, फल्गु, तथा किउल |
- गंगा की ढाल बहुत कम है अतः वर्षा के दिनों में अधिक जलग्रहण के कारण इसका पानी तटबंधों की पार कर दोनों ओर फैल जाता है, जो बाढ़ की समस्या उत्पन्न करता है। इसका प्रकोप उत्तर बिहार में अधिक रहता है।
गंगा
- गंगा उत्तराखंड के उत्तर काशी जिले के 5611 मीटर ऊँचे गंगोत्री ग्लेशियर से भगीरथी के नाम से निकलती है ।
- बिहार तक पहुँचते-पहुँचते गंगा नदी में धौली, पिण्डार, अलकनंदा, मंदाकिनी, रामगंगा, यमुना, गोमती और घाघरा नदियाँ मिल जाती हैं ।
- गंगा भोजपुर और सारण जिलों की सीमा बनाती हुई बिहार में प्रवेश करती है । यहीं गंगा में उत्तर से आने वाली सरयू (घाघरा) और दक्षिण से आने वाली सोन नदियाँ मिलती हैं ।
- दक्षिण से बहकर गंगा में मिलने वाली नदियों में चौसा के पास कर्मनाशा, बक्सर के पास
- ढोरा, थोड़ा पूर्व में काब, छेर, बनास, मनेर के पास सोन, फतुहा के समीप पुनपुन, सूर्यगढ़ा के पास फल्गु, मोहिनी, धनऊन, किउल, थोड़ा पूर्व में मुहाने, भागलपुर के निकट बडुआ चानन, कहलगाँव के पास घोवा, गेरुआ, काआ और थोड़ा दक्षिण-पूर्व में गुमानी नदियां आकर मिलती हैं ।
- पटना से आगे सारण और वैशाली जिलों की सीमा बनाती गण्डक नदी गंगा में सोनपुर में मिलती है। कुछ आगे बहने पर गंगा से मुंगेर के उत्तर में बागमती, कुरसेला के पास कोसी, मनिहारी के निकट काली कोसी तथा थोड़ा पूर्व में बहने पर पनार और महानंदा उत्तर से आकर मिलती हैं ।
सरयू या घाघरा
- इसका उद्गम स्थल नाम्पा (नेपाल) में है। उत्तर प्रदेश के मैदानी भागों में तीव्र गति से बहती हुई सरयू नदी सीवान जिले के समीप बिहार में प्रवेश करती है और छपरा के निकट यह गंगा नदी से मिल जाती है।
- कुछ दूरी तक यह बिहार तथा उत्तर प्रदेश की सीमा का निर्धारण भी करती है। हिन्दू और बौद्ध धर्म ग्रंथों में सरयू को अत्यन्त पवित्र नदी माना गया है।
- नदी के तीव्र प्रवाह से बहने के कारण सरयू नदी को घाघरा या घग्घर नदी के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
- इस नदी की लंबाई लगभग 1180 किमी है। पूरे वर्ष जल से भरी रहने के कारण इसे सदानीरा कहा जाता है।
गण्डक
- नेपाल में इसे सप्तगण्डकी के नाम से पुकारते हैं । इसकी मुख्य धारा का नाम काली गण्डक और नारायण गण्डकी या नारायणी है । नेपाल के तराई भाग में इसे शालग्रामी भी कहा जाता है ।
- गण्डक नदी अपनी सात सहायक नदियों के साथ मध्य हिमालय में नेपाल की उत्तरी सीमा और तिब्बत में विस्तृत हिमालय की अन्नपूर्णा पहाड़ियों के समीप मानंगमोट और कुतांग के समीप से निकलती हैं ।
- यह नदी नेपाल की सीमा को पार कर भारत में प्रवेश करती है तथा कुछ दूर उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा के साथ-साथ बहती है ।
- गण्डक नदी पटना के सामने तथा उत्तर बिहार के हाजीपुर और सोनपुर नामक दो प्रसिद्ध नगरों के मध्य बहती हुई मुजफ्फरपुर तथा सारण जिलों की सीमा बनाती हुई गंगा में मिल जाती है । इस नदी की कुल लम्बाई 425 किमी है।
बूढी गण्डक
- इस नदी का बहाव गण्डक के समान उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है ।
- यह नदी सोमेश्वर श्रेणियों के पश्चिमी भाग से निकलकर बिहार के उत्तरी-पश्चिमी जिले प० चम्पारण में प्रवेश करती है तथा मुजफ्फरपुर, दरभंगा और मुंगेर जिलों में बहती हुई गंगा में मिल जाती है ।
- इसकी सहायक नदियाँ हरहा, कापन, मसान, बाणगंगा, पंडई मनियरी, करहहा, उरई, तेलाबे, प्रसाद, तियर आदि हैं ।
बागमती
- यह हिमालय की महाभारत श्रेणियों से नेपाल में निकलती है । यह बिहार की खतरनाक नदियों में से एक है । इस नदी का बहाव गण्डक के समान उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है ।
- समस्तीपुर जिले के रोसड़ा नगर से लगभग दो मील दूर पश्चिमोत्तर में तिरमुहानी के निकट यह बूढ़ी गंडक नदी से संगम करती है ।
- यह लहेरियासराय (दरभंगा) के दक्षिण 6 मील दूर स्थित हायाघाट रेलवे स्टेशन के पास से दो भागों में विभक्त हो जाती है ।
- इसकी दाहिनी धारा बूढ़ी गंडक से जा मिलती है जबकि बायीं धारा को करेह नदी के नाम से जाना जाता है । यह कमला नदी से मिलकर कोसी में जा मिलती है ।
- बागमती नदी बाढ़ के दिनों में अक्सर अपना प्रवाह मार्ग बदल लेती है । यह मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा और मधुबनी जिलों में काफी क्षति पहुँचाती है ।
- इसकी सहायक नदियाँ लाल बकेया, लाखनदेई, चकनाहा, जमुने, सिपरी धार, छोटी बागमती, कोला आदि हैं ।
कमला
- यह नदी भी नेपाल में हिमालय की महाभारत श्रेणियों से निकलती है तथा नेपाल की तराई से होती हुई जयनगर की सीमा से बिहार में प्रवेश करती है ।
- पहले यह नदी जीवछ कमला कहलाती थी, परन्तु अब यह बलान नदी से मिलकर बहने लगी है। यह मिथिला की प्रसिद्ध नदी है और पुण्य प्राप्ति की दृष्टि से गंगा के बाद मिथिला में इसी का स्थान है। इस क्षेत्र में इस नदी को कमला माई भी कहा जाता है।
- यह दरभंगा प्रमंडल में प्रवाहित होकर कोसी से मिल जाती है।
- इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ सोनी, ढोरी और बलान हैं ।
- वर्षा के समय यह नदी काफी बाढ़ लाती है। धारा परिवर्तन इसका स्वभाव रहा है, अतः इसकी बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र में काफी क्षति होती है।
कोसी
- पूर्वी नेपाल में हिमालय की उच्च पर्वत श्रेणियों के मध्य सप्तकौशिकी क्षेत्र से निकलती है।
- इस क्षेत्र से जल की सात धाराएं (सुत कोसी, भोटिया कोसी, तांबा कोसी, लिखू कोसी, दूध कोसी, अरुण कोसी और तांबर कोसी) बहती हैं, जिससे इसका नाम सप्तकौशिकी पड़ा है।
- कोसी का वास्तविक नाम ‘कौशिकी’ है तथा इसका महत्व गंगा, यमुना, सरस्वती, कृष्णा, कावेरी और नर्मदा के समान है ।
- हिमालय से निकलकर कोसी नदी की धारा नेपाल के पर्वतीय प्रदेश से बहती हुई भारत-
- नेपाल सीमा को पार कर चतरा गद्दी (धरान) के निकट बराह क्षेत्र से बिहार में प्रवेश करती है।
- बराह क्षेत्र में आकर कोसी की धारा का तीव्र वेग हालांकि मंद पड़ जाता है परंतु इसके बराबर रास्ता बदलते रहने के कारण उत्तरी बिहार का प्रभावित क्षेत्र तबाह होता रहता है । यही कारण है कि इस नदी को ‘बिहार का शोक’ या ‘बिहार का अभिशाप’ कहते हैं ।
- यह सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया तथा पूर्णिया जिले से होती हुई खगड़िया के पास गंगा से मिल जाती है ।
- गंगा के उत्तरी सहायक नदियों में सबसे अधिक लंबाई (120 किमी) इसी कोसी नदी की है।
- गंगा में मिलने से पूर्व कोसी स्वयं अपना डेल्टा बनाती है, जो इसकी अनूठी विशेषता है ।
- उत्तरी बिहार के मैदान की यह सबसे पूर्वी नदी है जो हिमालय से उतरने के बाद पूर्णिया
- और कटिहार जिले से होकर बहते हुए कटिहार के दक्षिण-पूर्व में गंगा नदी में मिल जाती है ।
बिहार में गंगा के दक्षिणी मैदान की प्रमुख नदियाँ-
सोन
- सोन अथवा सोनभद्र नदी का उद्गम गोंडवाना क्षेत्र में स्थित मैकाल पर्वत के अमरकंटक नामक स्थान से हुआ है ।
- सोन नदी के उद्गम को अरीय अपवाह प्रतिरूप का एक बढ़िया उदाहरण माना जाता है,
- क्योंकि अमरकंटक से सोन के साथ अन्य दिशाओं में नर्मदा भी निकलती है ।
- यह कैमूर के पठार के दक्षिण से बिहार में प्रवेश कर गंगा-सोन के दोआब में बिहार को सबसे ऊपजाऊ मैदान बनाती है। इस नदी की कुल लंबाई 780 किमी है ।
- सोन ( शोणभद्र ) नदी झारखण्ड के पलामू तथा बिहार के रोहतास, औरंगाबाद, भोजपुर, पटना जिलों की पश्चिम सीमा बनाती हुई प्रवाहित होती है और पटना से 16 किलोमीटर दूर दानापुर के निकट हरदी छपरा गाँव के पास गंगा में मिल जाती है ।
पुनपुन
- यह नदी छत्तीसगढ़ के पठारी भाग से निकलती है । मौसमी नदी होने के कारण यह ग्रीष्मकाल में सूख जाती है, लेकिन वर्षा ऋतु में अत्यधिक जल के साथ बहती है ।
- यह गया और पटना जिलों में बहती हुई फतुहा नामक स्थान के निकट गंगा में मिल जाती है ।
- ऐसा माना जाता है कि पुनपुन नदी में स्नान तथा पिण्डदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शान्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है ।
- पुनपुन की सहायक नदियों में दरघा और मनोहर नदियाँ प्रमुख हैं ।
- कर्मनाशा
- यह नदी विंध्याचल की पहाड़ियों से निकलती है। अपने मार्ग पर बहती हुई यह नदी बिहार
- और उत्तर प्रदेश के बीच सीमा भी बनाती है ।
- उत्तर-पूर्व की ओर बहने के बाद चौसा के निकट गंगा से मिल जाती है ।
- बिहार में इस नदी को अपवित्र तथा अशुभ माना जाता है ।
- अजय
- यह नदी जमुई जिले के चकाई नामक स्थान से लगभग 5 किमी दक्षिण में बटपाड़ नामक स्थान से निकलती है ।
- यह पूर्व व दक्षिण में प्रवाहित होती हुई प० बंगाल में प्रवेश करती है और गंगा में विलीन
- हो जाती है। इस नदी को अजमावती या अजमती के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
गंगा में मिलनेवाली बिहार की नदियाँ
नदी | संगम स्थल |
कर्मनाशा | चौसा के निकट |
सरयू (घाघरा) | छपरा के निकट |
गंडक | पहलेजा के निकट |
बूढ़ी गंडक |
मुंगेर के निकट |
कोसी | खगड़िया के निकट |
फल्गु | उरैन (मुंगेर) के निकट |
सोन | हरदी छपरा / दानापुर |
कमला | काढ़ागोला के निकट |
- फल्गु नदी
- सकरी
- किउल
नदियों के किनारे अवस्थित प्रमुख नगर
- गंगा नदी – पटना, बक्सर, मोकामा, भागलपुर एवं मुंगेर
- गंडक नदी – हाजीपुर, सोनपुर, सारण एवं मुजफ्फरपुर
- सरयू नदी – छपरा
- फल्गु नदी – गया