बिहार के प्रमुख पर्व त्योहार
  • Post author:
  • प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस एवं 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में राष्ट्रीय पर्व धूमधाम से मनाये जाते हैं । 
  • मकर संक्रांति 
    • बिहार में मनाये जानेवाले पर्वों में मकर संक्रांति भी एक महत्वपूर्ण पर्व है । यह धान की नई फसल का पर्व है । 
    • पटना एवं आस पास के क्षेत्र में इस दिन लोग चूड़ा-दही व तिलकुट विशेष तौर पर खाते हैं। उसी दिन अथवा एक दिन बाद खिचड़ी खाने का भी रिवाज है । 
  • सरस्वती पूजा 
    • यह पर्व माघ शुक्ल पंचमी (बसंत पंचमी) के दिन धूमधाम से मनाया जाता है । 
    • इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना बड़े धूमधाम से की जाती है । बच्चे व विद्यार्थी सरस्वती पूजा को बड़े उत्साह व हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं । 
  • महाशिवरात्रि  
    • फाल्गुन कृष्ण पक्ष के 14वें दिन ( चतुर्दशी को ) महाशिवरात्रि का पर्व देश के अन्य भागों के साथ पूरे बिहार में भी मनाया जाता है । 
  • होली
    • होली बसंत ऋतु का महत्वपूर्ण त्योहार है । सामान्यतया यह पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन यानी चैत्र के पहले दिन धूमधाम से मनाया जाता है । 
    • किन्तु बिहार में भागलपुरसहरसा जिले में कुछ स्थानों पर ‘फगुआ’ (होली) फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है । 
    • इस उत्सव का पौराणिक आधार हिरण्यकश्यप नामक असुर राजा और उसके ईश्वर भक्त पुत्र प्रह्लाद की कथा है । यह पर्व अत्याचार पर धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है ।
    • होली के दिन खूब रंग-गुलाल खेला जाता है । यह पर्व आपसी संबंधों को पुनर्जीवित करता है ।
  • रामनवमी 
    • यह त्योहार चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की 9वीं तिथि को मनाया जाता है ।  
    • इसे भगवान राम के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है । इस दिन मंदिर, आंगन तथा पवित्र स्थलों पर झंडा (महावीर ध्वज) जिस पर हनुमानजी की आकृति अंकित होती है, लगाने की भी प्रथा है । 
  • महावीर जयंती 
    • भगवान महावीर का जन्म दिवस प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। जैन धर्म के प्रवर्तक एवं अंतिम 24वें तीर्थंकर के जन्म दिवस के अवसर पर मंदिरों को सजाया जाता है तथा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। बुद्ध जयंती 
    • यह त्योहार बैशाख माह की पूर्णिमा को बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है।
    • इसी दिन बिहार में बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को परम ज्ञान प्राप्त हुआ था। 
  • वट सावित्री 
    • यह पर्व विशेष रूप से मिथिलांचल में विवाहित ( सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाता है।
    • प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन सुहागिन (सधवा) महिलाओं द्वारा वट वृक्ष (बरगद के पेड़) के नीचे सावित्री और ब्रह्मा की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। इस दिन पतिव्रता स्त्रियों द्वारा वट वृक्ष के चारों ओर धागा बाँधा जाता है तथा अपने पति के दीर्घ जीवन की कामना की जाती है । 
  • मधुश्रावणी 
    • मिथिलांचल में यह पर्व श्रावण मास में नवविवाहिताओं द्वारा विशेष उल्लास से मनाया जाता है। > इसका आरंभ नागपंचमी ( श्रावण कृष्ण पंचमी) से होता है और मधुश्रावणी (श्रावण शुक्ल तृतीया ) के दिन नवविवाहिता को ‘टेमी’ देने के साथ सम्पन्न होता है । 
  • रक्षाबंधन 
    • यह त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं, जिसका एक प्रमुख उद्देश्य भाइयों द्वारा बहनों की रक्षा का संकल्प लेना है | 
  • कृष्णाष्टमी 
    • भादो महीने (भाद्रपद) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्णाष्टमी (कृष्ण जन्माष्टमी)  मनाई जाती है। मान्यतानुसार इसी तिथि को अर्द्धरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था।
    • इस अवसर पर दिन भर उपवास करके मध्य रात्रि में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है । 
  • हरितालिका तीज 
    • भाद्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को बिहार में महिलाएँ अक्षय सुहाग की कामना करती हुई हरितालिका (तीज) व्रत करती हैं । इस अवसर पर वे किसी मंदिर के समीप वट-वृक्ष की पूजा करती हैं। 
  • अनंत चतुर्दशी 
    • भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी ( 14वीं) तिथि को भगवान अनंत (विष्णु) की पूजा की जाती है। पूजा-अर्चना के उपरान्त भक्तजनों की बाँह पर अनंत (रक्षा सूत्र ) बाँधा जाता है ।
  • जीतिया 
    • पुत्रवती महिलाओं द्वारा अपने पुत्र के दीर्घजीवन की कामना से यह व्रत आश्विन कृष्ण अष्टमी के दिन रखा जाता है ।
    • इस अवसर पर महिलाएँ विधान के अनुसार 24 से 36 घंटे तक बिना अन्न-जल ग्रहण किये उपवास रखती हैं तथा जिमूतवाहन की पूजा अर्चना करती हैं । 
  • पितृ पक्ष एवं महालया 
    • आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष के रूप में मनाया जाता है। 
    • 15 दिनों की इस अवधि में हिन्दू लोग अपने पितरों का श्राद्ध कर्म व तर्पण करते हैं । 
    • गया में फल्गु नदी के किनारे इस अवसर पर एक पखवारे तक देश-विदेश से लोग आकर अपने-अपने पितरों को पिण्डदान करते हैं। आश्विन मास की अमावस्या तिथि को पितृ विसर्जन के साथ पितृ पक्ष का समापन होता है । उसी दिन महालया मनाया जाता है । 
  • दशहरा 
    • दशहरा हिन्दुओं के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्वों में एक है । यह पर्व आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा (पहली तिथि) से दशमी तिथि तक मनाया जाता है । इस दस दिवसीय आयोजन (शारदीय नवरात्र) में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है तथा कुछ स्थानों पर रामलीला का भी आयोजन होता है ।इसे विजयादशमी कहते हैं । 
    •  विजयादशमी के दिन राजधानी पटना के गाँधी मैदान में ‘रावण वध’ का आयोजन किया जाता है। इसके अंतर्गत रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद का पुतला दहन समारोहपूर्वक किया जाता है । 
  • दीपावली 
    • यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है । हिन्दू इसे भगवान राम की रावण पर विजय के बाद अयोध्या वापसी के रूप में मनाते हैं । वैश्य लोग इस दिन अपने बही-खाते बदलते हैं । 
    • दीपावली के पूर्व घरों, दुकानों की सफाई, पुताई एवं रंगाई होती है और उन्हें सजाया जाता है ।
    • इस दिन रात्रि को दीये जलाये जाते हैं और गणेश-लक्ष्मी की पूजा होती है। घरों में पकवान  व मिठाई बनते हैं। बच्चे आतिशबाजी व पटाखे छोड़ते हैं । 
  • गोवर्धन पूजा 
    • दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा ( प्रथम तिथि) को गोवर्धन पूजा की जाती है । > प्रचलित मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों की इन्द्र देवता के प्रकोप से रक्षा की थी । इस दिन राज्य में कई स्थानों पर पशुक्रीड़ा का भी आयोजन किया जाता है । 
  • यमद्वितीया और चित्रगुप्त पूजा 
    • कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि के दिन यमद्वितीया (भैया दूज या भ्रातृ द्वितीया) का पर्व मनाया जाता है तथा गोधन की पूजा पूरे बिहार में होती है । इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों के दीर्घजीवन के लिए यमराज की पूजा करती हैं । 
    • इसी दिन कायस्थ समाज के लोग ‘दवात पूजा’ अर्थात् भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं ।
  • छठ पर्व 
    • यह बिहार का अद्वितीय एवं प्रसिद्ध पर्व है। इस दिन सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है ।
    • इस पर्व में कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को अस्त होते हुए (अस्ताचलगामी) सूर्य को तथा अगले दिन सप्तमी को प्रातः उदित होते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है । अर्घ्य किसी तालाब, झील या नदी के किनारे दिया जाता है । 
  • देवोत्थान 
    • यह पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। लोग इस पर्व पर विशेषतः भगवान विष्णु की पूजा करते हैं । 
    • ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार मास के शयन के पश्चात् जगते हैं। 
  • कार्तिक पूर्णिमा 
    • यह पर्व पूरे बिहार में मनाया जाता है। लोग इस अवसर पर पवित्र नदियों व तालाबों में स्नान करते हैं । भगवान विष्णु की पूजा इस दिन प्रायः हर घर में होती है । 
  • गुरु गोविन्द सिंह जन्म दिवस 
    • यह त्योहार पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सिखों के अंतिम गुरु गोविन्द सिंह जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है । 
  • ईद 
    • यह सिखों का प्रमुख पर्व है । इस दिन पटना के गुरुद्वारा तख्त श्री हरमंदिर में भव्य समारोह का आयोजन होता है ।
    • ईद मुसलमानों का विशिष्ट त्यौहार है । इसे ‘ईद-उल-फितूर’ के नाम से भी जाना जाता है ।
    • मुस्लिम कैलेंडर के नौवें महीने में रमजान होता है । इसे रमजान का महीना भी कहते हैं । 
    • इसी माह इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ ‘कुरान शरीफ’ की रचना पूरी हुई थी । रमजान के बाद इस खुशी में चाँद निकलने के दूसरे दिन ईद मनाई जाती है। ईद मुसलमानों के लिए खुशी का त्योहार है । इस दिन लोग मस्जिद जाकर नमाज अदा करते हैं और आपस में गले मिलकर खुशी प्रकट करते हैं । 
  • बकरीद 
    • इस्लाम धर्मानुयायियों द्वारा उनके वार्षिक पंचांग (Calendar) के अंतिम महीने में इस पवित्र पर्व को मनाया जाता है । इब्राहिम द्वारा खुदा के आदेश से अपने पुत्र इस्माइल का स्वयं बलिदान करने तथा उसके ( पुत्र के) पुनर्जीवित हो जाने की खुशी में इस पर्व को सोल्लास मनाया जाता है । 
    • इस पवित्र पर्व को ‘ईद-उल-जोहा’ के नाम से भी जाना जाता है । 
  • मुहर्रम 
    • अनेक मुसलमान इस पर्व को मातम शोक के रूप में मनाते हैं । यह पर्व पवित्र कर्बला की  ऐतिहासिक लड़ाई में हजरत हसन और हुसैन के बलिदान की याद में मनाया जाता है । 
    • इस पर्व में ताजिये के साथ जुलूस निकाले जाते हैं । जिस स्थान पर विभिन्न स्थानों से निकाले कि गये ताजिये का मिलन होता है, वहाँ पर एक दिन का मेला लगता है । 
  • सोहराय 
    • सोहराय संथालों का सबसे पवित्र पर्व माना जाता है । पाँच दिनों तक लगातार मनाया जाने वाला सोहराय आदिवासियों के बीच खुशी का पर्व माना जाता है । 
    • पर्व के प्रथम दिन देवी को कवरी (मुर्गी) और उपाजा (मुर्गा) की बलि दी जाती है । पर्व के दूसरे दिन सुबह में पशुधन की पूजा की जाती है तथा घर के अंदर स्वर्गवासी पूर्वजों के नाम की पूजा होती है । तीसरे दिन गाय-भैंस का जगाव कर लक्ष्मी की पूजा की जाती है । चौथे दिन गाय-भैंस की पूजा सिंदूर तोप और धान से की जाती है । पाँचवें दिन पर्व का समापन होता है, जिसकी शुरुआत मांझीथान पर आयोजित रिंजों के गीतों से होती है । >> सोहराय को ‘बड़ी दीदी का पर्व’ कहा जाता है । 
  • सरहुल 
    • सरहुल उराँव जनजाति का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है । खेती आरंभ करने के पूर्व यह त्योहार मनाया जाता है। इसमें ‘सरना’ अर्थात् सखुए के कुंज में पूजा की जाती है । सखुए के कुंज को उराँव अत्यधिक पवित्र मानते हैं – पुरोहित इसे पाहुन कहते हैं और इसकी पूजा करते हैं । 
    • यह पर्व इतना महत्वपूर्ण है कि दूर-दूर रहनेवाले आदिवासी भी सरहुल के दिन अपने घर आते हैं। लड़कियाँ ससुराल से मैके आ जाती हैं। 
  • करमा 
    • भादो महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कर्मा पर्व मनाया जाता है । यह भी उराँवों का एक महत्वपूर्ण पर्व है । गैर-आदिवासी हिन्दू भी इस पर्व को मनाते हैं, लेकिन आदिवासियों में इसका अपेक्षाकृत अधिक महत्व है । 
    • इस दिन ‘अखरा’ में करमा वृक्ष की एक डाली गाड़ी जाती है। अखरा ‘नाच के मैदान’ को कहते हैं। अखरा में इसी डाली की पूजा की जाती है। पूजा के पूर्व 24 घंटे का उपवास किया जाता है। अखरा में रातभर नाचना और गाना चलता है । गीत में कर्मा-धर्मा की कहानी कही जाती है । 
  • ईस्टर 
    • यह ईसाइयों का महत्वपूर्ण त्योहार है । गुड फ्राइडे के बाद आनेवाले रविवार को ईस्टर का त्योहार होता है । 
    • मान्यता है कि रविवार के दिन क्राइस्ट (ईसा) फिर से जीवित हो उठे थे । यही कारण है कि ईसाई हर रविवार को चर्च जाकर प्रार्थना करते हैं । 
  • क्रिसमस 
    • क्रिसमस ईसाइयों का सबसे बड़ा एवं खुशी का पर्व है । यह पर्व प्रत्येक साल 25 दिसम्बर को मनाया जाता है । इसी तिथि को प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था । 
    • इस दिन प्रातःकाल सभी ईसाई चर्च में जाकर सामूहिक प्रार्थना में भाग लेते हैं, नये कपड़े पहनते हैं तथा अपने रिश्तेदारों, मित्रों आदि से मिलकर उन्हें क्रिसमस की शुभकामनाएँ देते हैं । 

बिहार के प्रमुख पुरस्कार/सम्मान 

  • बिहार राजभाषा विभाग द्वारा ग्रंथ पुरस्कार योजना के तहत दिये जाने वाले विभिन्न पुरस्कार 
    • डॉ० ग्रियर्सन पुरस्कार 
    • भिखारी ठाकुर पुरस्कार 
    • लघु कथा पुरस्कार 
    • डॉ० फादर कामिल बुल्के पुरस्कार 
    • विद्याकर कवि पुरस्कार 
    • अखिल भारतीय ग्रंथ पुरस्कार

बिहार राजभाषा विभाग द्वारा प्रदत्त विभिन्न पुरस्कार 

  • चाणक्य पुरस्कार – राजनीतिशास्त्र
  • मण्डन मिश्र पुरस्कार – धर्म एवं दर्शन
  • विद्यापति पुरस्कार- हिन्दी में रचित लोक साहित्य
  • आर्यभट्ट पुरस्कार – विज्ञान 
  • उपेन्द्र महारथी पुरस्कार – कला एवं शिल्प
  • अयोध्या प्रसाद खत्री पुरस्कार –  हिन्दी भाषा व लिपि
  • काशी प्रसाद जायसवाल पुरस्कार – इतिहास एवं संस्कृति
  • राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह पुरस्कार –  उपन्यास एवं कहानी
  • शिवपूजन सहाय पुरस्कार – ललित निबंध, संस्मरण एवं यात्रा वृत्तांत
  • रामवृक्ष बेनीपुरी पुरस्कार – नाटक एवं रंगमंच 
  • केदार नाथ मिश्र ‘प्रभात’ पुरस्कार – काव्य रचना
  • नलिन विलोचन शर्मा पुरस्कार – समालोचना
  • गोरखनाथ सिंह पुरस्कार – -अर्थशास्त्र
  • डॉ० सच्चिदानंद पुरस्कार – विधि साहित्य
  • अमरनाथ झा पुरस्कार -बाल साहित्य
  • लक्ष्मी नारायण सुधांशु पुरस्कार  – हिन्दी भाषा एवं साहित्य से संबंधित प्रकाशित शोध ग्रंथ
  • गोपाल सिंह ‘नेपाली’ पुरस्कार – नवगीत
  • फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ पुरस्कार – आंचलिक कथा कृति