बिहार के उद्योग
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  • राज्य के मुख्य उद्योगों में मुजफ्फरपुर और मोकामा में भारत वैगन लिमिटेड का रेलवे वैगन प्लांट तथा बरौनी में भारतीय तेल निगम का तेलशोधक कारखाना काफी लाभदायक है ।
  • बरौनी का HPCL  और अमझोर का पाइराइट्स फॉस्फेट एंड केमिकल्स लिमिटेड (PPCL) राज्य के प्रमुख उर्वरक संयंत्र हैं । 
  • सीवान, भागलपुर, पंडौल, मोकामा और गया में पाँच बड़ी कताई मिलें हैं
  • उत्तर व दक्षिण बिहार में 13 चीनी मिलें निजी क्षेत्र की तथा 15 चीनी मिलें सार्वजनिक क्षेत्र की हैं, जिनकी कुल पेराई क्षमता 45,000 टन प्रति दिन TPD है । 
  • गोपालगंज, पश्चिमी चम्पारण, भागलपुर और रीगा (सीतामढ़ी जिला ) में शराब बनाने के कारखाने हैं । पश्चिमी चम्पारण, मुजफ्फरपुर और बरौनी में चमड़ा प्रसंस्करण के उद्योग हैं। 
  • कटिहार और समस्तीपुर में तीन बड़े पटसन के कारखाने हैं । 
  • हाजीपुर में दवाएँ बनाने का कारखाना है, जबकि औरंगाबाद और पटना में खाद्य प्रसंस्करण और वनस्पति बनाने के कारखाने हैं । 
  • बंजारी में कल्याणपुर सीमेंट लिमिटेड नामक सीमेंट कारखाने का बिहार के औद्योगिक नक्शे में महत्वपूर्ण स्थान है । 

प्रमुख उद्योग / कारखाने 

  • भारत वैगन एण्ड इंजीनियरिंग कम्पनी लिमिटेड – मोकामा
  • सिगरेट फैक्ट्री एवं बन्दूक कारखाना – मुंगेर
  • जूता कारखाना (बाटा इंडिया लिमिटेड) – मोकामा
  • चमड़ा उद्योग 
  • उर्वरक उद्योग 
  • थर्मल पावर स्टेशन (कोयला आधारित) – बरौनी
  • बिहार स्टेट स्कूटर्स लिमिटेड – फतुहा (पटना)
  • तसर रेशम 
  • कच्चा रेशम 
  • बटन 
  • सिन्दूर
  • बीड़ी 
  • पटाखा 
  • रेल इंजन मरम्मत – जमालपुर 
  • रेल पहिया  – बेलापुर,  छपरा 
  • स्लीपर कारखाना – मधेपुरा 

 

बिहार में केंद्र  सरकार के सार्वजनिक प्रबंध के भारी उद्योग 

  • भारत वैगन एण्ड इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेडभारत सरकार ने रेल के वैगन और दूसरे इंजीनियरिंग सामान बनाने के लिए इस कारखाने को मोकामा में स्थापित किया है । 
  • बरौनी तेलशोधक कारखाना 
    • यह बेगूसराय जिला के बरौनी में स्थित है और इसकी स्थापना सन् 1964 में तत्कालीन सोवियत संघ की सहायता से की गई थी । 
    • सन् 1983 में इस कारखाने की पेट्रोलियम शोधन क्षमता 33 लाख टन थी। 
    • वर्तमान में यह कारखाना भारतीय तेल निगम के अधीन आता है और यहाँ के पेट्रोलियम की आपूर्ति असम के तेल क्षेत्रों से की जाती है । 

बिहार में सार्वजनिक प्रबंधन में राज्य सरकार के अधीन उद्योग 

  • बिहार स्टेट स्कूटर्स लिमिटेड फतुहा में स्थापित इस कारखाने का मुख्यालय पटना में है। इसके अधिकांश शेयर बिहार सरकार के पास हैं । 
  • बिहार स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड :  इसका मुख्यालय पटना में है। इसके अंतर्गत भागलपुर की स्पिन सिल्क फैक्ट्री, विक्रमगंज की चावल मिलें, इन्सुलेटर और इलेक्ट्रिकल इंस्ट्रूमेंट्स फैक्ट्री हैं । 
  • बिहार स्टेट हैण्डलूम, पावरलूम, हैण्डीक्राफ्ट्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेडबिहार में हथकरघा, पावरलूम और दस्तकारी सामानों का उत्पादन और वितरण के लिए बिहार सरकार ने निगम की स्थापना की है । 

बिहार में कृषि पर आधारित उद्योग 

  • चीनी उद्योग
    • चीनी उद्योग राज्य का सबसे पुराना उद्योग है । 
    • बिहार में चीनी का पहला कारखाना 1840 ई० में बेतिया में डचों द्वारा प्रारंभ किया गया था। > वर्तमान में देश में चीनी उत्पादन हेतु बिहार में 28 चीनी मिलें हैं, हालांकि इनमें अधिकांशतः 
    • जर्जर एवं बीमार हो चुकी हैं तथा कुछ बंद भी हो गयी हैं, जिन्हें पुनर्जीवित करके राज्य में चीनी उद्योग की स्थिति को ठीक करने की कोशिश की जा रही है। 
    • सम्प्रति बिहार राज्य चीनी निगम की लौरिया और सुगौली इकाइयाँ हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि० (HPCL) को जनवरी 2009 में 60 वर्षों की लीज (पट्टे) पर दे दी गई। लीज की अवधि को 30 वर्ष के लिए बढ़ाया भी जा सकता है । 
    • बिहार में चीनी उद्योग के प्रमुख केंद्र डालमियानगर, मीरगंज, सीवान, समस्तीपुर, मंझोलिया, बिहटा, गोपालगंज, सिधवलिया, बेतिया और छपरा हैं। गुरारू, महाराजगंज, हरिनगर, वारसलीगंज, लोहट, मोतीपुर, हसनपुर, सासामूसा आदि में भी चीनी मिलें स्थित हैं । सन् 2000 में राज्य के विभाजन के बाद वर्तमान बिहार में यह सबसे बड़ा उद्योग है । 
    • बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार- राज्य में 28 में से 9 चीनी मिलें कार्यशील हैं। बिहार राज्य चीनी निगम के तहत 2 नये चीनी मिल हैं, जिन्हें 2011 में लीज के आधार पर एचपीसीएल को सौंप दिया गया था। वर्ष 2014-15 के पेराई मौसम के दौरान कुल 574.45 लाख टन ईख की पेराई हुई और 52.67 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ । चीनी का उत्पादन 2013-14 के स्तर से 11% कम है। चीनी प्राप्ति की दर 2012-13 के 8.6% से थोड़ा बढ़कर 2014-15 में 9.2% हो गई । 
    • आजादी (1947) से पूर्व बिहार में 33 चीनी मिल थे जो देश का 40% चीनी उत्पादित करते थे । 
    • 40 वर्ष पूर्व बिहार राज्य को चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा स्थान प्राप्त था । लेकिन उत्पादन में कमी आने के कारण इसका स्थान घट कर अब 7वाँ रह गया है । 
  • सूती वस्त्र उद्योग 
  • बिहार राज्य में सूती वस्त्र उद्योग गया और फुलवारीशरीफ में केन्द्रित है । 
  • ओबरा (औरंगाबाद) में बने दरी और कालीनों का विदेशों में निर्यात किया जाता है ।
  • सूती वस्त्र की अन्य छोटी-छोटी मिलें मुजफ्फरपुर, मुंगेर, भागलपुर, किशनगंज, बिहारशरीफ और मधुबनी में है । 
  • बिहार में होजरी तैयार करने की छोटी-बड़ी 40 फैक्ट्रियाँ हैं । वे अपने उद्योगों के लिए सूत कानपुर और अहमदाबाद से मँगाते हैं । 
  • रेशमी वस्त्र उद्योग 
  • बिहार राज्य में केवल तसर तथा अण्डी रेशम का उत्पादन होता है । 
  • रेशमी वस्त्र उद्योग का विकास भागलपुर एवं आसपास के क्षेत्र में हुआ था । 
  • भागलपुर में मुख्य रूप से तसर से रेशमी वस्त्रों का उत्पादन होता है ।
  • जूट उद्योग 
  • भारत में विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाले उद्योगों में जूट उद्योग प्रमुख है । 
  • स्वतन्त्रता से पूर्व भारत में जूट उद्योग के 110 कारखाने थे, जो अधिकांश पश्चिमी बंगाल और बिहार में केंद्रित थे, लेकिन जूट उत्पादित करने वाला 2/3 भाग पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में चला गया था । 
  • पूर्णिया, कटिहार, सहरसा और दरभंगा के 1.5 लाख हेक्टेयर भूमि में 8.3 लाख टन जूट का उत्पादन होता है। इसके अतिरिक्त समस्तीपुर में भी जूट मिल की स्थापना हुई है । 
  • बिहार में जूट के तीन बड़े कारखाने पूर्णिया, कटिहार और दरभंगा में स्थित हैं । इनमें रामेश्वर जूट मिल्स, कटिहार तथा मोतीलाल जूट मिल्स, दरभंगा विशेष उल्लेखनीय हैं। 
  • तम्बाकू उद्योग 
  • राज्य के तम्बाकू उद्योग में पूर्णिया, सहरसा, दरभंगा और मुंगेर का महत्वपूर्ण स्थान है ।
  • सिगरेट के अतिरिक्त बीड़ी उद्योग का भी विकास राज्य के विभिन्न जिलों में हुआ है। बीड़ी 
  • निर्माण में मुंगेर, पटना एवं गया का प्रमुख स्थान है । 
  • सिगरेट बनाने के कारखानों में से एक इम्पीरियल टोबैको कम्पनी (अब इंडियन टोबैको कंपनी – ITC) का सिगरेट कारखाना मुंगेर जिले के दिलावरपुर नामक स्थान पर है । 
  • इसके अतिरिक्त राज्य में बीड़ी बनाने के 250 छोटे-बड़े उद्योग हैं। झाझा, लखीसराय, जमुईबिहारशरीफ, मानपुर, आरा, बक्सर आदि स्थानों पर भी बीड़ी बनाने का कार्य होता है ।
  • उत्तरी बिहार के महनार, दलसिंहसराय, शाहपुर तथा अयोध्यागंज बाजार में बीड़ी के उल्लेखनीय केन्द्र हैं । 
  • चावल और दाल मिल 
  • बिहार में नगरीय क्षेत्रों में चावल की आपूर्ति के लिए कारखाने स्थापित किये गये हैं ।
  • चावल से भूसा अलग करने के लिए विद्युत्चालित मिलों के आगमन ने इसे औद्योगिक रूप दे दिया है। बिहार में सबसे अधिक चावल मिलें चंपारण एवं भोजपुर जिलों में हैं । 
  • बिहार की प्रमुख चावल मिलें हैं : 
  • पूर्वी चंपारण में रक्सौल, आदापुर, मलातु, घोड़ासहन, सिकटा, कोटवा आदि । पश्चिमी चंपारण में : नरकटियागंज, भैरवगंज, चनपटिया, रामनगर आदि । 
  • सीमामढ़ी में : सीतामढ़ी, बैरगनियाँ, जनकपुर रोड आदि । 
  • मधुबनी में: मधुबनी, जयनगर, घोघरडीहा, झंझारपुर, लौकहा आदि । 
  • दरभंगा में : दरभंगा, उशराही, कतरास आदि । 
  • अररिया में : जोगबनी, फारबिसगंज आदि । 
  • किशनगंज में : किशनगंज, ठाकुरगंज आदि । 
  • रोहतास में: नोखा, विक्रमगंज, दिनारा, नासरीगंज आदि । 
  • इनके अतिरिक्त बक्सर, गया, मुंगेर, दाउदनगर, नवीनगर, जहानाबाद, बिहारशरीफ, सासाराम, भानपुर, मानपुर आदि स्थानों पर चावल-दाल की मिलें हैं । 
  • आटा चक्की मिल 
  • बिहार में गेहूँ से आटा, मैदा व सूजी और दलिया बनाने के कारखाने हैं, जिन्हें आटा चक्की मिल कहा जाता है । इन मिलों के बदौलत आज बिहार में सत्तू और बेसन उद्योग काफी लोकप्रिय और लाभप्रद है । 
  • पटना और गया में सर्वाधिक आटा चक्की मिले हैं। इनके अतिरिक्त शाहाबाद, मुजफ्फरपुर,दरभंगा, मुंगेर और भागलपुर में स्थित हैं । 
  • तेल मिल 
  • बिहार में लगभग 500 तेल मिलें हैं, जिनमें से अधिकांश पटना, गया, शाहाबाद, बेगूसराय और मुंगेर में केन्द्रित हैं । 
  • बिहार में तीसी, राई, सरसों, तिल, रेंड़ी आदि तिलहन फसलें उगायी जाती हैं, जिनकी पेराई करके तेल निकाला जाता है ।
  • वनस्पति उद्योग 
  • बिहार में वनस्पति घी के उत्पादन में डालमियानगर का प्रमुख स्थान है । 
  • इसकी उत्पादन क्षमता 18,500 टन है । इसके अतिरिक्त बिहारशरीफ – राजगीर मार्ग पर एक मिल की स्थापना की गयी है। 1972 में स्थापित इस कारखाने में प्रतिदिन घी का उत्पादन 2.4 लाख टन है । 

बिहार में वन्य पदार्थों पर आधारित उद्योग 

  • लकड़ी उद्योग 
  • बिहार के वनों से प्राप्त लकड़ी से राज्य में लकड़ी चीरने के कारखाने, प्लाईवुड बनाने के कारखाने प्रगति कर रहे हैं । 
  • बिहार में नेपाल और भारत सीमा के निकट नरकटियागंज, जोगबनी, गोपालगंज, प० चम्पारण, 
  • मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, पटना, भागलपुर तथा कटिहार में लकड़ी के कारखाने हैं । 
  • कागज व लुग्दी उद्योग 
  • बिहार में वनों से बांस, सवाई घास और मुलायम लकड़ी आसानी से मिल जाती है, जिनके आधार पर यहाँ कागज और लकड़ी उद्योग विकसित हुए हैं । 
  • बिहार का ठाकुर पेपर मिल्स लिमिटेड कारखाना जो समस्तीपुर में है और दरभंगा में अशोक पेपर मिल प्रसिद्ध है । 
  • इन कारखानों में चीनी मिलों से प्राप्त गन्ने की खोई (छिलके) तथा स्थानीय रूप में धान की भूसी से कागज व लुग्दी तैयार की जाती है। अन्य छोटे कारखाने बरौनी, पटना आदि में स्थित हैं । 
  • ईख की खोई, सवाई घास तथा बांस पर आधारित लुग्दी उत्पादन करने वाला सबसे बड़ा उद्योग डालमियानगर में स्थित है । 
  • यहाँ का रोहतास कागज उद्योग सर्वोत्तम श्रेणी का कागज, टीशू पेपर, मुद्रण पत्र, टिकट बोर्ड, सिम्पलैक्स बोर्ड, लुग्दी बोर्ड आदि का उत्पादन करता है । 
  • लाख उद्योग 
  • वन्य पदार्थों पर आधारित उद्योगों में लाख उद्योग का प्रमुख स्थान है । 
  • लाख विशेष वृक्षों के कीड़ों से प्राप्त होने वाला एक लसीला पदार्थ है, जो जमकर ठोस हो जाता है और लाह अथवा लाख कहलाता है । 
  • उन विशेष वृक्षों में पलाश, बैर, कुसुम आदि प्रमुख हैं । इस उद्योग का विकास गया एवं पूर्णिया में हुआ है । 
  • रबर उद्योग 
  • बिहार में आरा से तीन किलोमीटर दूर जमीरा में 1971 में अलका रबर कारखाने की स्थापना की गयी । 10 लाख रुपये की लागत से बने इस कारखाने में 1972 में उत्पादन प्रारंभ हुआ । यह प्रतिदिन 100 साइकिल एवं रिक्शा टायर तैयार करता है । 
  • कुछ साइकिल और रिक्शा के टायरों के उत्पादन करने वाले लघुस्तरीय कारखाने पटना, गया तथा मुजफ्फरपुर में भी स्थित हैं । 
  • प्लाईवुड 
  • देशभर में बनने वाली कुल प्लाई का बड़ा हिस्सा बिहार में बनता है ।
  • बिहार का हाजीपुर स्थित प्लाईवुड कारखाना देशभर में प्रसिद्ध है ।
  • चाय उद्योग  
  • 1990 के दशक से चाय बिहार में नए कृषि आधारित उद्योग के रूप में उभरा है।
  • राज्य में 25 हजार हेक्टेयर से भी अधिक जमीन पर चाय की खेती हो रही है । 
  • किशनगंज में 7 चाय प्रसंस्करण संयंत्र मौजूद हैं, जिनमें 2,300 टन से भी अधिक चाय का वार्षिक उत्पादन होता है । 
  • काँच उद्योग  
  • बिहार में वैदिककाल में भी काँच की चूड़ियाँ पहनने का प्रचलन था । 
  • इस उद्योग के लिए बालू सिलिका, सोडा एश, चूना पत्थर, सोडियम सल्फेट, पोटैशियम कार्बोनेट, शोरा, सुहागा, बोरिक एसिड, शीशा, सुरमा, संखिया, बेरियम ऑक्साइड आदि पदार्थ कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त होते हैं । 
  • बिहार में ( अब झारखंड) राजमहल की पहाड़ियों में मंगल घाट तथा पत्थर घाट क्षेत्र में तथा निकटवर्ती क्षेत्र में इसका कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है । 
  • बिहार में बरौनी, भवानी नगर, पटना तथा हाजीपुर में काँच उद्योग से सम्बन्धित कारखाने हैं ।
  • रासायनिक खाद कारखाना 
  • बरौनी – तेल शोधशाला से प्राप्त नेफ्था पर आधारित एक खाद के कारखाने की स्थापना बरौनी में की गयी है जो प्रतिवर्ष 152,000 टन नाइट्रोजन का उत्पादन करता है । 
  • इसमें अमोनिया का आधा भाग यूरिया में परिवर्तित कर दिया जाता है और शेष अमोनिया का उपयोग चट्टानी फास्फेट को नाइट्रिक एसिड के साथ शोधित करके नाइट्रो फास्फेट उत्पादन के लिए किया जाता है । 
  • डालमियानगर के रोहतास उद्योग का रसायन संयंत्र कास्टिक सोडा, तरल क्लोरीन, क्लोरीन गैस, हाइड्रोजन गैस, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, ब्लीचिंग पाउडर, बेरियम लवण तथा सोडियम सल्फाइट का उत्पादन करता है । 
  • इंजीनियरिंग उद्योग 
  • बिहार में इंजीनियरिंग उद्योग का प्रारंभ मुजफ्फरपुर में आर्थर बटलर कम्पनी की स्थापना के साथ हुई। वर्तमान में यहाँ भारत वैगन लिमिटेड का रेलवे वैगन संयंत्र स्थित है । 
  • चमड़ा उद्योग 
  • बिहार के पश्चिमी चम्पारण, मुजफ्फरपुर और बरौनी में चमड़ा प्रसंस्करण उद्योग है । 
  • बिहार के दीघा और मोकामा में बाटा कम्पनी के बड़े कारखाने हैं । 
  • सीमेंट उद्योग 
  • बंजारी में कल्याणपुर सीमेंट लिमिटेड कारखाना स्थापित है । 

व्यक्तिगत प्रबंध के उद्योग 

  • रोहतास इंडस्ट्रीज लिमिटेड ( डालमियानगर ) 
  • बिहार राज्य के व्यक्तिगत प्रबंध के उद्योगों में यह प्रमुख है । 
  • इसकी 24 चीनी मिलें, 7 सीमेंट कारखाने, तीन जूट कारखाने और एक रेलवे वैगन का कारखाना ।
  • काफी समय तक यह बंद रहा । पर अब यह आंशिक रूप से क्रियाशील हो गया है । 

बिहार के उद्योगों के विकास हेतु संस्थाएँ 

  • बिहार राज्य वित्त निगमबिहार राज्य वित्त निगम द्वारा मुख्य रूप से लघु प्रक्षेत्र के उद्योगों की स्थापना करने हेतु 
  • वित्तीय सहायता दी जाती है । 
  • बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम – बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम का मुख्य उद्देश्य राज्य के औद्योगिक विकास हेतु आधारभूत संरचना प्रदान करना है। 

औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकारपटना, मुजफ्फरपुर तथा दरभंगा में औद्योगिक आधारभूत सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार कार्य कर रहा है। पंडौल (मधुबनी), बेगूसराय, हाजीपुर आदि में औद्योगिक प्रांगण (इंडस्ट्रियल एरिया) स्थापित हैं । 

बिहार में राज्य शासन के कुछ औद्योगिक उपक्रम 

  • बिहार स्टेट हैण्डलूम, पावरलूम एण्ड हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, पटना
  • बिहार स्टेट कन्स्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड, पटना 
  • बिहार स्टेट स्कूटर्स लिमिटेड, पटना 
  • बिहार स्टेट फूड एण्ड सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन, पटना 
  • बिहार फोरेस्ट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, पटना 
  • बिहार स्टेट फाइनेन्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, पटना 
  • बिहार स्टेट डेयरी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, पटना 
  • बिहार स्टेट शुगर कॉर्पोरेशन लिमिटेड, पटना 
  • बिहार स्टेट स्मॉल स्केल इण्डस्ट्रीज डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, पटना
  • बिहार स्टेट लेदर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, पटना 
  • बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक पब्लिशिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड, पटना