बिहार में सिनेमा
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  • बिहार में निर्मित प्रथम फिल्म – ‘पुनर्मिलन‘ का निर्माण व प्रदर्शन 1931 ई० में हुआ । इस फिल्म का निर्माण देव (औरंगाबाद) के महाराजा ने किया था तथा इसके निर्देशक थे—धीरेन गांगुली । 

भोजपुरी सिनेमा 

  • भारत की (संभवतः ) प्रथम भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इवो’ का मुहूर्त पटना स्थित शहीद स्मारक के पास विधानसभा भवन के सामने किया गया था । 
  • बिहार की किसी आंचलिक भाषा में बनने वाली इस प्रथम फिल्म के निर्माण ( वस्तुतः किसी भोजपुरी फिल्म के निर्माण) का विचार सर्वप्रथम स्व० नरगिस दत्त (प्रख्यात सिने अभिनेत्री) की अभिनेत्री माँ जद्दनबाई के मन में आया था और उन्होंने अभिनेता स्व० नजीर हुसैन (जो गाजीपुर, उ०प्र० के निवासी थे) को इस दिशा में कुछ करने के लिए प्रेरित किया । 
  • जद्दनबाई की बात मन में रखकर नजीर हुसैन ने बिहार निवासी बच्चा लाल पटेल से इस संबंध में बातचीत की। इसके बाद इन दोनों ने बिहार के ही श्री विश्वनाथ प्रसाद (बी०पी०) शाहाबादी को फिल्म निर्माण में धन लगाने के लिए तैयार किया । 
  • धन की व्यवस्था हो जाने पर ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ नामक फिल्म बनाने की योजना बनायी गई । 
  • इस फिल्म के गीतकार स्व० शैलेन्द्र और संगीतकार स्व० चित्रगुप्त (वर्तमान समय में चर्चित 
  • युवा संगीतकार युगल आनंद और मिलिन्द के पिता) बिहार के ही निवासी थे । 
  • इस प्रथम भोजपुरी (श्वेत-श्याम) फिल्म के मधुर गीत – संगीत अत्यंत लोकप्रिय हुए तथा यह फिल्म अत्यंत सफल हुई । 
  • असीम कुमार, कुमकुम, नजीर हुसैन अभिनीत ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ की सफलता के बाद भोजपुरी में अनेक (1961 से 1994 तक 126 ) फिल्में बनीं; जिनमें से भिखारी ठाकुर की ‘विदेशिया’, सुजीत कुमार की ‘दंगल’, नजीर हुसैन की ‘बलम परदेशिया’, अशोक चंद्र जैन की ‘धरती मइया’ और ‘गंगा किनारे मोरा गाँव’ के अतिरिक्त ‘माई’, ‘हमार दूल्हा ‘ आदि फिल्में काफी सफल रहीं । 
  • प्रख्यात फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने भी ‘बिहारी बाबू’ नामक एक भोजपुरी फिल्म का निर्माण किया । 
  • ‘गंगा किनारे मोरा गाँव’ ऐसी पहली भोजपुरी फिल्म थी, जिसमें ‘डिस्को डांस’ दिखाया गया था तथा मॉरीशस में भी यह फिल्म प्रदर्शित हुई और किसी अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के लिए भी इसका चयन हुआ । 
  • ‘बलम परदेशिया’ भोजपुरी की ऐसी पहली फिल्म थी, जिसने कुछ शहरों में स्वर्ण जयंती मनायी । 
  • ‘पान खाये सइयां हमार’ ऐसी पहली भोजपुरी फिल्म है, जिसमें अमिताभ बच्चन, रेखा और रंजीत जैसे हिन्दी फिल्मों के चोटी के कलाकारों ने पहली बार अभिनय किया तथा नौशाद जैसे दिग्गज संगीतकार ने संगीत दिया । 
  • मनोज तिवारी ‘मृदुल’, रवि किशन, सुदीप पाण्डे, दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, पवन सिंह, छैला बिहारी आदि आज की भोजपुरी फिल्मों के चर्चित कलाकार हैं । 
  • मनोज तिवारी ‘मृदुल’, अभिनीत ‘ससुरा बड़ा पैसा वाला’, ‘दरोगा बाबू आई लव यू’ आदि हाल में निर्मित सफल भोजपुरी फिल्मों ने भोजपुरी फिल्म उद्योग (पॉलीवुड ) को नई ऊर्जा व गति प्रदान की है । 
  • बी० आर० चोपड़ा निर्मित लोकप्रिय टीवी धारावाहिक ‘महाभारत’ तथा अमिताभ बच्चन अभिनीत सुप्रसिद्ध फिल्म ‘नमक हलाल’ को भोजपुरी में डब करके क्रमशः पटना दूरदर्शन 
  • केन्द्र से प्रसारित एवं बिहार में सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया जा चुका है। भोजपुरी में यह अपनी तरह का प्रथम प्रयोग है ।
  • प्रसिद्ध टीवी गेम शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के भोजपुरी संस्करण का प्रसारण महुआ चैनल पर हो रहा था। इस शो को शत्रुघ्न सिन्हा ने संचालित (होस्ट ) किया था ।

मैथिली सिनेमा 

  • मैथिली की प्रथम फीचर फिल्म ‘ ममता गाबय गीत’ का निर्माण इस सदी के सातवें दशक के आरंभ में हुआ था, किन्तु किसी कारणवश उस समय यह फिल्म अधूरी रह गयी । बाद में मिथिलांचल के प्रसिद्ध गायक युगल ‘रवीन्द्र और महेन्द्र’ ने इस फिल्म को पूरा किया और 1982 ई० में यह फिल्म प्रदर्शित हुई । इस फिल्म में प्यारे मोहन सहाय और अजरा ने क्रमशः नायक और नायिका की भूमिका का निर्वाह किया था । 
  • मैथिली की प्रथम प्रदर्शित फिल्म थी ‘कन्यादान’, जो मैथिली के लब्धप्रतिष्ठित हास्य-व्यंग्य लेखक हरिमोहन झा की कहानी पर बनी थी । यह फिल्म काफी लोकप्रिय हुई | 
  • मैथिली में बनी तीसरी फिल्म थी ‘जय बाबा बैद्यनाथ’, जिसका प्रदर्शन आठवें दशक में ही हुआ । किन्तु, इस फिल्म में मैथिली के साथ-साथ कुछ अन्य भाषाओं का भी प्रयोग हुआ था । इस फिल्म में हिन्दी फिल्मों के लोकप्रिय अभिनेता विश्वजीत ने काम किया था । 
  • ‘ललका पाग’ का प्रदर्शन अभी हाल ही में हुआ है । किन्तु ‘गोनू झा’, ‘पाहुन’, ‘मधुश्रावणी’, आदि मैथिली की कुछ ऐसी फिल्में हैं, जिनके निर्माण की योजना पूरी नहीं हो पाई ।
  • ‘एना कते दिन’ और ‘बड़का साहेब’ मैथिली की दो प्रमुख वीडियो फिल्में हैं, जिनका निर्माण आनंद मिश्र ने किया । 
  • इनके अतिरिक्त महाकवि ‘विद्यापति’ पर एक वृत्त चित्र का निर्माण सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा किया गया है। 

मगही सिनेमा 

  • पूर्णरूपेण मगही में निर्मित प्रथम फिल्म थी, ‘मइया’ जिसका प्रदर्शन 1964 ई0 में हुआ । ‘नालंदा चित्र प्रतिष्ठान’ के बैनर तले बनी, पी० एन० प्रसाद (निर्माता) की इस फिल्म के कथा लेखक और निर्देशक थे फणी मजुमदार और संवाद लेखक थे ब्रजभूषण । इस फिल्म के लिए गीत लिखा था प्रेम धवन और स्व० विंध्यवासिनी देवी ने तथा इसके संगीतकार थे— चित्रगुप्त । 
  • मगही में बनी दूसरी फिल्म थी – ‘मोरे मन मितवा’, जिसके निर्माता थे-आर० डी० बंसल तथा लेखक, संवाद लेखक और निर्देशक थे- गिरीश रंजन । इस फिल्म में हरिश्चन्द्र प्रियदर्शी के लिखे गीतों को संगीत से संवारा था दत्ता राम ने । 
  • वैसे हिन्दी में निर्मित ‘गौतम गोविन्दा’, ‘कल हमारा है’, ‘कालका’ तथा राकेश रोशन की 
  • फिल्म ‘खुदगर्ज’ में भी मगही / भोजपुरी मिश्रित भाषा का इस्तेमाल हुआ है । 

हिन्दी सिनेमा 

  • संभवतः ‘कल हमारा है’ बिहार में बनी पहली हिन्दी फीचर फिल्म है जिसमें बिहार के ही 
  • कलाकारों (कुणाल इस फिल्म के नायक थे) ने मुख्य भूमिकाएँ अदा की थी । 
  • देवानन्द की अत्यंत सफल फिल्म ‘जॉनी मेरा नाम’, शत्रुघ्न सिन्हा की फिल्म ‘कालका’, मनोज वाजपेयी अभिनीत ‘शूल’ और रिचर्ड एटनबरो की अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एवं आठ ऑस्कर पुरस्कारों से सम्मानित फिल्म ‘गाँधी’ के कुछ प्रमुख दृश्यों की शूटिंग बिहार में भी हुई थी । 
  • हिन्दी फिल्मों में बिहार के अनेक चर्चित कलाकारों ने अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान किया है । इन कलाकारों में संगीतकार चित्रगुप्त तथा आनंद-मिलिन्द, गायक उदित नारायण, अभिनेता तिवारी (रामायण तिवारी), सुजीत कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा, शेखर सुमन, मनमोहन, भूषण तिवारी, प्यारे मोहन सहाय; अभिनेत्री कुमकुम, रेखा सहाय, प्रेमलता मिश्र आदि के अतिरिक्त वर्तमान में चर्चित युवा कलाकारों में मनोज वाजपेयी (सत्या, शूल), नीतू चंद्रा (फिल्म ट्रैफिक सिग्नल) और पटना में पले-बढ़े अनुराग सिन्हा (फिल्म – ब्लैक एंड व्हाइट) आदि का नाम उल्लेखनीय है । 

बिहार में फिल्म महोत्सव 

  • जनसंस्कृति मंच के बैनर तले पहली बारपटना फिल्मोत्सव’ का आयोजन 25-27 दिसंबर, 2009 को बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन सभागार, पटना में हुआ । 
  • इस महोत्सव में मुख्य अतिथि गिरीश कसरावल्ली की फिल्म ‘गुलाबी टॉकीज’ ऋत्विक घटक की ‘कोमल गंधार’, सत्यजीत रे की ‘सद्गति’, अरविंद सिन्हा की ‘दुई पाटन के बीच’ आदि 16 बहुचर्चित एवं सार्थक फिल्मों का प्रदर्शन हुआ । 
  • अप्रैल 2008 में पटना के रीजेन्ट सिनेमा हॉल में तीसरे पटना फिल्म फेस्टीवल (महोत्सव) का आयोजन हुआ था । इस महोत्सव में हिन्दी, भोजपुरी, अंग्रेजी, जर्मन, स्वीडिश व रूसी भाषा की 23 फिल्में दिखायी गयीं । 
  • इस महोत्सव में चक दे इंडिया, जब वी मेट, ब्लैक एंड व्हाइट, तारे जमीं पर जैसी चर्चित हिन्दी फीचर फिल्मों के साथ-साथ ला स्ट्रडा जैसी विदेशी फिल्मों तथा NFDDC की फिल्मों को भी दर्शकों ने काफी सराहा । 
  • यह बिहार में आयोजित चौथा फिल्म महोत्सव था । इसके पहले गया में एक (बिहार फिल्म फेस्टीवल) तथा पटना में दो (पटना फ़िल्म फेस्टीवल – 2006 और 2007 में) आयोजित हो चुके हैं। अब बिहार या पटना में प्रायः हर साल फिल्म फेस्टीवल आयोजित होता है।