चितरा रानी (लोक कथा ) – शिवनाथ प्रामाणिक

  • चितरा रानी लोककथा  के पात्र
    • आदिवासी जमींदार -गोला परगने  
      • तीन गो नाबालक (काँचा उमइरेक) बेटा – बड़का (चितरा का पति ) ,मंझला ,छोटका (शारीरिक रूप से बलिष्ठ )
    • सिखरिया राजाक-   बेटी चितरा
      • बूढ़ी औरत
    • देवान भुँइहारा बाँभन – लाड़ली बेटी
    • एक चील  

 

  • एगो हल आदिवासी जमींदार । ओकोर गोला परगने (छेतरें) जमींदारी चल-हलइ, सेले गोलवारी जमींदार नाँवें नाँवजइजका भइ गेल हल । 
  • ऊ जमींदारेक तीन गो नाबालक (काँचा उमइरेक) बेटा हल्थिन । आपन बड़का बेटवाक जखन ओकर मुहें मीसी नाञ निकलल हलइ तखन्हीं सिखरिया राजाक बेटी चितरा क संग बिहा बैसाख मास दइ देल हलइ । गोलवारी जमींदार आपन बेटाक बिहें सब धन दोलइत देवान भुँइहारा बाँभन  चाइलें लुटाइ देलइ । की ले कि बैसाख मास, पियासेक दिनें सब बरियाती पानिक बदलें गुर पाना पियल जा हला । पालकिक पेछु हाँथी-घोड़ा, पाँच जोड़ा ढाक आर पाँच जोड़ मंदन भेइर बाजल जा हलइ। एक दिन अइसन भेलइ कि ओकर घरेक धन दोलइत ख़त्म भइ गेलइ । ई फिकिर जमीदारेक पेटें ढुइक गेलइ ।  
  • फिकिर हटवे खातिर भुँइहारा बाँभन आपन जमींदार के राइत-दिन मोद आर ताड़ी पिअइते रहे।कुछ दिनेक परें पहिले जमीदारिन मोरली आर संगे संगे पाछ गोलवारी जमींदार आपन तीनो नाबालक (काँचा उमइरेक) बेटवइन के देवान के हाँथ सोइप के फुराइ (सिराइ) गेलक । 
  • गोलवारी जमीदारेक मरने के बाद भुँइहारा बाँभनें जमींदारी चलावे लागलइ । सब सम्पति हड़प लिया  । 
  • भुँइहारा बाँभनें, गोलवारी जमींदारेक तीनों बेटवइन आपने घरे मुनीस खटे लागला । 
  • भूमिहार वामन के द्वारा जमींदार के तीनों बेटों को बहुत सताया जाने लगा। तीनों बेटों में से सबसे छोटा बेटा शारीरिक रूप से मजबूत और चालक था।  भूमिहार वामन के डर से उसने अपने दोनों भाइयों को रात में ही लेकर भाग गया और दूसरे राजा के राज्य में पहुंच गया।  इस राज्य में राजा के द्वारा एक बांध बनाया जा रहा था। वहीं पर तीनों माटी काटने लगे और अपना गुजर बसर करने लगे हैं और इस तरह कई वर्ष बीत गया। 
  • वहीं दूसरी और शिखारिया राजा की बेटी चित्रा भी जवान हो गई ,लेकिन उसे अपने बचपन में हुई शादी के बारे में कुछ भी याद नहीं है। सिकरिया राजा को अपने समधि के मृत्यु  बारे में पता चला।   लेकिन उसके मरने के बाद अपने दामाद और उनके भाइयों के बारे में छानबीन  किये लेकिन कोई भी जानकारी नहीं मिला। 
  • एक दिन जमींदार के बड़ा  बेटा ने अपने दोनो  भाइयों को बचपन में हुई शादी के बारे में बताया और उनसे कहा कि अगर हमें से कोई मेरे ससुर सिकरिया  राजा के पास जा सके तो हम लोगों का सारा दुख खत्म हो जाएगा। 
  • यह सब सुनकर जमींदार का छोटा बेटा राजा के पास जाने के लिए तैयार हो गया।  उसने अपने बड़े भाई के उंगली की अंगूठी को सबूत के तौर पर लिया और राजा के पास जाने के लिए निकल पड़ा। और उसके राज्य में रात में  पहुंच गया। 
  • अमावस्या के अंधेरी रात में वह राजा के राज्य में पहुंचा।  राजा के घर के मलिन बूढी  के कुंबा के पास पहुंचा और बूढी मौसी  को अपना पूरा वाक्य बताए और कहा कि मेरी भेंट चित्रा  से कर दो। बूढी ने भी उसके बातों को विश्वास कर लिया , दूसरे दिन  फूलों का गुच्छा लेकर वह चित्रा से मिली  और चित्रा को सभी बातें बता दिया
  • चित्र को जब यह सभी बातें पता चला तो उसने उस बूढी औरत  के कपड़ों को खुद पहने और अपने देवर से रात के अंधेरे में मिलने चली गई और अपने देवर को अंगूठी देखकर पहचान गई और नया धोती कुर्ता देकर रात को ही वापस अपने घर आ गई।  अगले दिन छोटा भाई नहा धोकर नया धोती कपड़ा पहने और राजा के घर चला गया और हंसी-खुशी वे दोनों वापसअपने दोनों भाई के पास चले गए। चित्र अपने मंझले  देवर और अपने पति से मिली।  तीनों भाई और चित्रा  मिलकरअपने जमींदार ससुर के गांव चली गई और वहीं पर छोटा सा झोपड़ी बना कर रहने लगे। चित्रा  बचपन से ही बहुत तेज थी वह अपने ससुर के जमींदारी को फिर से प्राप्त करने के लिए चाल चलने लगी। 
  • 1 दिन भूमिहार बाभन  की लाडली बेटी नहाने के लिए बांध  गई थी।  वहीं पर जब वह अपना सोने का गले का हार  को खोलकर नहा रही थी, तो एक चील  उड़ते हुए आया और वह सोने के हार  को सांप समझ कर लेकर उड़ गया और चित्रा  के घर के छाईन  में गिरा दिया। 
  • अगले दिन  भूमिहार बाभन के लोग ढोल नगाड़े लेकर पूरे गांव में ढिंढोरा पिटवा दिया कि जो कोई भी सोने का हार  को खोज कर लेगा, उसे आधा जमींदारी मिलेगा। यह सब सुनकर चित्रा  बहुत खुश हुई और उसने जमींदार के लोगों को कहा कि, जाओ  अपने जमींदार को कह दो की जमींदारअपने मुनीश औरउसके लोगों को दू पइख  (2 महीना) तक कोई काम नहीं कर तो, अपने आप सोने का हार  उसका बेटी के पास पहुंच जाएगा। 
  • जमींदार ने ठीक वैसे ही किया और दो महीना तक कोई काम नहीं किया। इसी बीच दो महीना के अंदर ही चित्रा ने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और गांव वालों की मदद से जमींदार के सारे खेतों पर उसने धान  रोप  दिया। 
  • इस तरह से चित्र ने अपने ससुर के सभी जमीनों पर फिर से दखल कर लिया और यह घोषणा किया की जो कोई भी खेतों में काम करेगा उसे उसका हिस्सा धान वापस मिलेगा। इससे सभी लोग बहुत प्रभावित हुए और चित्रा  को पूरे उस क्षेत्र का रानी बना दिया।  आज भी गोला और रामगढ़ क्षेत्र में चितरपुर गांव चित्रा  रानी के नाम से ही जाना जाता है। 

शिवनाथ प्रमाणिक Shivnath Pramanik Biography 

  • जन्म13 जनवरी 1950, (अन्य – 13 जनवरी 1949 )
    • बइदमारा गांव(बाघमारा ), बोकारो जिला
  • पिता का नाम– मुरलीधर प्रमाणिक
  • माता का नाम– तिनकी
  • कृति
    • ‘दामुदेरक कोराञ्’ पहला खंड काव्या- 6 भाग
    • तातल आर हेमाल (कविता संग्रह)
    • रुसल पुटुस का संपादन (खोरठा कविता संग्रह)
    • मइछगंधा (महाकाव्य ) – 11 खंड
      • प्रकाशन – 2012
      • महाभारत के पत्र मत्स्यगंधा पर आधारित
    • बेलंदरी (गीत संगरह)  
    • खोरठा लोक साहित्य
    • पयान गीत (कविता )
    • खोरठा एगो स्वतंत्र – समृद्ध भासा (लेख )
    • डहर बनाई चल रे (कविता )- दु डाहर परास फूल
  • सम्मान
    • झारखण्ड सरकार से सर्वश्रेष्ठ साहित्यकार पुरस्कार 2018
    • चतरा जिला की ओर से परिवर्तन विशेष पुरस्कार
    • जमशेदपुर की तरफ से काव्यभूषण उपाधि 

Questions Based On Shivnath Pramanik 

  • Q.डहर बनाइ चले रे सिरसक कविता केकर लिखल लागइन ? शिवनाथ प्रमाणिक
  • Q.खोरठा एगो ‘स्वतंत्र-समृद्ध भासा सिरसक लेख के लेखक हथ ? शिवनाथ प्रमाणिक
  • Q.तातल आर हेमाल कविता संग्रह के लिखवइया हथ ? शिवनाथ प्रमाणिक
  • Q.फरीछ डहर खोरठा कहनीक गोछ के भूमिका लिखल हथ ? शिवनाथ प्रमाणिक
  • Q. ‘बाँवा हाँथ’ सिरसक कबिता के कवि हथ ? शिवनाथ प्रमाणिक
  • Q.शिवनाथ प्रमाणिक के लिखल लोक कथा के नाम हे ? चितरा रानी
  • Q.’मानिक’ उपनाम से कोन खोरठा साहितकार परसिध हथ? शिवनाथ प्रमाणिक
  • Q.सही जोड़ा के छांटा  
    (a) शिवनाथ प्रमाणिक – दामुदरेक कोरायं
    (b) महेश गोलबार – जिगीक टोह
    (c) डॉ. बी.एन. ओहदार – गीतांजलि
    (d) डॉ. ए.के. झा – अजगर
  • Q.सही जोड़ा के छांटा
    (a) खोरठा लोक कथा- सिवनाथ प्रमाणिक
    (b) खोरठा लोक साहित – डॉ. ए.के. झा
    (c) खोरठा निबंध – डॉ. बी.एन. ओहदार
    (d) चदुलाल चौकीदार – चितरंजन महतो

मत्स्यगंधा के बारे में कुछ रोचक तथ्य (not for cgl just for information)

  • ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र थे वेद व्यास, इनकी कृपा से जन्म हुआ था धृतराष्ट्र और पांडु का
  • महाभारत में सत्यवती महत्वपूर्ण पात्रों में से एक है। सत्यवती का नाम मत्स्यगंधा था। इसके शरीर से मछली के जैसी दुर्गंध आती थी। मत्स्यगंधा नाव से लोगों को यमुना पार कराती थी। एक दिन ऋषि पाराशर वहां पहुंचे। ऋषि को यमुना पार जाना था। वे मत्स्यगंधा की नाव में बैठ गए। बीच मार्ग में ऋषि पाराशर ने अपने तपो बल से मत्स्यगंधा की दुर्गंध को दूर कर दिया।
  • कुछ समय बाद सत्यवती ने पाराशर ऋषि के पुत्र को जन्म दिया। जन्म लेते ही वह बड़ा हो गया और एक द्वीप पर तप करने चला गया। द्वीप पर तप करने और इनका रंग काला होने की वजह से वे कृष्णद्वैपायन(वेद व्यास) के नाम से प्रसिद्ध हुए। इन्होंने ही वेदों का संपादन किया और महाभारत ग्रंथ की रचना की थी।
    ऋषि पाराशर के वरदान से मत्स्यगंधा के शरीर से मछली की दुर्गंध खत्म हो गई थी। इसके बाद वह सत्यवती के नाम से प्रसिद्ध हुई। एक दिन शांतनु ने सत्यवती को देखा तो वे मोहित हो गए। बाद में शांतनु के पुत्र देवव्रत ने सत्यवती और शांतनु का विवाह करवाया।
  • इस विवाह के लिए देवव्रत ने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की थी और सत्यवती को वचन दिया था कि उसकी संतान ही हस्तिनापुर का राजा बनेगी। इस प्रतिज्ञा के कारण ही देवव्रत का एक नाम भीष्म पड़ा।
    सत्यवती और शांतनु की दो संतानें थीं। चित्रांगद और विचित्रवीर्य। शांतनु की मृत्यु के बाद चित्रांगद को राजा बनाया गया था। चित्रांगद की मृत्यु के बाद विचित्रवीर्य राजा बना। भीष्म पितामह ने विचित्रवीर्य का विवाह अंबिका और अंबालिका से करवाया था।
  • विचित्रवीर्य की मृत्यु के बाद सत्यवती ने अपने पुत्र वेदव्यास को बुलाया। विचित्रवीर्य की कोई संतान नहीं थी। तब वेदव्यास की कृपा से अंबिका और अंबालिका ने धृतराष्ट्र और पांडु को जन्म दिया। एक दासी से विदुर का जन्म हुआ।

 

Shivnath Pramanik Biography शिवनाथ प्रमाणिक की जीवनी

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