- बिजली उत्पादन और वितरण व्यवस्था को संविधान की समवर्ती सूची में रखा गया है।
- स्वतंत्रता के पूर्व बिहार में विद्युत् आपूर्ति मुख्यतः निजी ताप गृहों से होती थी ।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् विलम्ब से विद्युत् पर्षद का गठन होने तथा अपने संयंत्र स्थापना में पिछड़ जाने से बिहार में परियोजना लागत में भारी वृद्धि हुई और प्रारंभ से ही उत्पादन, वितरण एवं विद्युत् माँग का अंतराल बना रहा ।
- बिहार में ऊर्जा क्षेत्र में तीन प्रमुख अभिकरण कार्यशील हैं—
- बिहार राज्य विद्युत बोर्ड (BSEB),
- बिहार राज्य जलविद्युत निगम लि. (BSHPC)
- बिहार नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण ( BREDA )
बिहार राज्य विद्युत बोर्ड :
- बिहार राज्य विद्युत बोर्ड की मूल रूप में स्थापना विद्युत (आपूर्ति) अधिनियम, 1948 के अनुच्छेद 5 के तहत 1 अप्रैल, 1958 को हुई थी और उसे बिहार में विद्युत उत्पादन, संचरण, वितरण तथा संबंधित गतिविधियों के लिए अधिदेशित किया गया था ।
- नई बिहार राज्य विद्युत सुधार अंतरण योजना, 2012 के तहत बोर्ड को पाँच कंपनियों में बाँट दिया गया है, जो 1 नवम्बर, 2012 से प्रभावी है । ये कंपनियाँ हैं—
- बिहार राज्य जल विद्युत कंपनी लिमिटेड (BSHPC) चार कंपनियों –
- बिहार राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लि. (BSPGCL)
- बिहार राज्य विद्युत संचरण कंपनी लि. (BSPTC)
- उत्तर बिहार विद्युत वितरण कंपनी लि. और दक्षिण बिहार विद्युत वितरण कंपनी लि. सभी उपभोक्ताओं को बिजली का वितरण, बिजली का व्यापार, ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं का क्रियान्वयन और विद्युत अधिनियम, 2003 तथा नियंत्रक के दिशा निर्देश के अनुसार वितरण की खुली उपलब्धता शुरू करने का काम करेंगी। वे बिजली की खरीद या बिक्री के लिए विद्युत क्रय समझौते तथा अन्य समझौतों के लिए निविदा जारी करेंगी, उन्हें अंतिम रूप देगी और निष्पादित करेंगी ।
- वर्ष 2012-13 में विभिन्न शीर्षों के तहत बिहार राज्य विद्युत बोर्ड के लिए आबंटन शीर्षों में पुनर्गठित त्वरित विद्युत विकास एवं सुधार परियोजना (R-APDRP) भी शामिल है।
केन्द्रीय विद्युत केन्द्रों से विद्युत आबंटन
- राष्ट्रीय तापविद्युत निगम
- फरक्का सुपर तापविद्युत केन्द्र
- तलचर सुपर तापविद्युत केन्द्र
- कहलगाँव सुपर तापविद्युत केन्द्र – 1
- कहलगाँव सुपर तापविद्युत केन्द्र – 2
- PHC
- टाला जलविद्युत केन्द्र
- चूखा जलविद्युत केन्द्र
- राष्ट्रीय जलविद्युत निगम
- रंगित जलविद्युत केन्द्र
- तिस्ता जलविद्युत केन्द्र
- बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार में तीन विद्युत उत्पादन संयंत्र बचे ।
- बरौनी तापविद्युत केन्द्र (BTPS ) : बरौनी तापविद्युत केन्द्र राजकीय क्षेत्र का अकेला विद्युत केन्द्र है । इसका निर्माण तीन चरणों में हुआ था । इसमें 7 इकाइयाँ हैं जिनमें से छठी और सातवीं इकाइयाँ ही चलाने के लिए उपलब्ध हैं ।
- सम्प्रति जीर्णोद्धार एवं आधुनिकीकरण कार्य के बाद इकाई 6 और 7 में से एक इकाई नवंबर 2013 में चालू हो गयी ।
- 581.2 करोड़ रु. के व्यय से इनके जीर्णोद्धार एवं आधुनिकीकरण कार्य की जवाबदेही भेल (भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लि.) पर है । इस के अलावा, वर्तमान इकाइयों के साथ-साथ 250 मेगावाट क्षमता की दो इकाइयों की स्थापना भी प्रस्तावित है
- मुजफ्फरपुर तापविद्युत केन्द्र : राष्ट्रीय तापविद्युत निगम की पूर्णतः अंगीभूत कंपनी कांटी बिजली उत्पादन निगम लि. (KBUNL) ने मुजफ्फरपुर तापविद्युत केन्द्र की 110 मेगावाट की दो इकाइयों का अधिग्रहण कर लिया है । कांटी बिजली उत्पादन निगम में राष्ट्रीय तापविद्युत निगम की 64.57% और बिहार राज्य विद्युत बोर्ड ( अब बिहार राज्य विद्युत होल्डिंग कंपनी) की शेष 35.43% इक्विटी है ।
- कोसी जलविद्युत केन्द्र (KHPC) : कोसी जलविद्युत केन्द्र में 4.8 मेगावाट की 4 इकाइयाँ हैं। इसका निर्माण 1970 से 1978 के बीच हुआ था और बिहार राज्य जलविद्युत निगम (BSHPC) को 2003 में हस्तांतरित किया गया था ।
- बिहार में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत केवल 117 किलोवाट (राष्ट्रीय औसत प्रति व्यक्ति 813 किलोवाट) है।
बिहार की ताप विद्युत् परियोजनाएँ
- बरौनी ताप संयंत्र
- बिहार राज्य विद्युत् पर्षद का दूसरा बड़ा संयंत्र बरौनी में स्थापित है । इसकी कुल उत्पादन क्षमता 500 MW ( मेगावाट) है । इसकी 750 MW की क्षमता विस्तार की प्रक्रिया आरंभ है ।
- इस संयंत्र के द्वारा उत्तरी बिहार को विद्युत् की आपूर्ति की जाती है। फिलहाल इस संयंत्र में उत्पादन क्षमता का प्रयोग 15% से 20% तक ही हो पाता है ।
- काँटी (मुजफ्फरपुर) ताप संयंत्र
- मुजफ्फरपुर का ताप संयंत्र कांटी नामक स्थान पर स्थापित है । यह बिहार राज्य विद्युत् पर्षद की तीसरी बड़ी इकाई है, जिसकी उत्पादन क्षमता 390 MW है, परन्तु अभी तक इसकी 30% से अधिक क्षमता का प्रयोग नहीं हो पाया है ।
- कांटी थर्मल पावर स्टेशन का नया नाम ‘जॉर्ज फर्नांडीस थर्मल पावर स्टेशन’ होगा । इसकी 585 MW की क्षमता विस्तार की प्रक्रिया जारी है । इस क्रम में कांटी थर्मल पावर प्लांट की यूनिट – दो से 110 MW का उत्पादन नवंबर, 2014 में आरंभ हो गया है ।
- पटना ताप संयंत्र
- बाद में नवनिर्मित एन.टी.पी.सी. के थर्मल पावर स्टेशन से दूसरे फेज की प्रथम इकाई से 660 MW विद्युत का वाणिज्यिक उत्पादन 15 नवम्बर, 2014 से आरंभ हुआ । इसमें से 440 MW बिजली बिहार को मिलती है । इसके दूसरे फेज की दूसरी इकाई से 660 MW विद्युत का उत्पादन मार्च 2015 में आरंभ हो गया है, जिसमें से 429 MW बिजली बिहार को मिलेगी ।
- पटना जं० (रेलवे स्टेशन) से दक्षिण करबिगहिया में स्थापित है, जो राज्य विद्युत् पर्षद के अधीनस्थ है |
- तेनुघाट ताप विद्युत् परियोजना की स्थापना स्वतंत्र निकाय के रूप में की गई है ।
- कहलगाँव ताप विद्युत् परियोजना
- नवीनगर ताप विद्युत् गृह
- औरंगाबाद ताप विद्युत् परियोजना
बिहार की जलविद्युत् परियोजनाएँ
- राज्य में जल विद्युत् परियोजनाओं का विकास पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत दामोदर घाटी निगम की स्थापना के साथ हुआ। 1953 में तिलैया ( अब झारखंड में) में राज्य का पहला जल विद्युत् संयंत्र काम करने लगा था |
- तीसरी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत कोसी नदी पर भीमनगर के पास स्थित कोसी बैराज के समीप कटैया में 20 MW क्षमता वाला जल विद्युत् गृहस्थापित किया गया ।
- कोसी जल विद्युत् परियोजना वर्तमान बिहार राज्य की एकमात्र जल विद्युत् परियोजना है। इस बहुउद्देशीय परियोजना का निर्माण नेपाल तथा भारत के सहयोग से 1965 में किया गया ।
- इस परियोजना का रख-रखाव राज्य सरकार के अधीनस्थ है तथा यह सुपौल जिले में पूर्वी कोसी नहर पर स्थापित है ।
बिहार में प्रस्तावित बड़ी जल विद्युत् परियोजनाएँ
- डगमारा जल विद्युत् परियोजना
- इंद्रपुरी जलाशय परियोजना
- सिनाफदर पंप भंडारण योजना
- हथियादह- दुर्गावती पंप भंडारण योजना.
- पंचगोटिया पंप भंडारण योजना
- तेलहरकुंड पंप भंडारण योजना
बिहार राज्य जल विद्युत् निगम लिमिटेड
- बिहार राज्य जल विद्युत् निगम लिमिटेड (BSHPC) की स्थापना राज्य में जल विद्युत् की संभावनाओं के दोहन के लिए की गई थी ।
- ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के प्रथम वर्ष में ही निगम ने डगमारा में बड़ी जल विद्युत् परियोजना की संभावना चिह्नित की थी । इस परियोजना के निर्माण के लिए फ्रांसीसी विकास अभिकरण (FDA) से ऋण लेने का प्रयास किया जा रहा है ।
- इंद्रपुरी जलाशय परियोजना 1987 से ही लंबित है ।